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अंतिम संस्कार के लिए जुट चुके थे रिश्तेदार, अचानक मृत युवक की चलने लगी सांसें, बोला – माँ

locationइंदौरPublished: Feb 24, 2020 03:31:55 pm

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

परिजन का दावा युवक ने मां कहकर भी पुकारा, अस्पताल प्रबंधन ने कहा- डिस्चार्ज के समय ब्रैन डैड था मरीज

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अंतिम संस्कार के लिए जुट चुके थे रिश्तेदार, अचानक मृत युवक की चलने लगी सांसें, बोला – माँ

इंदौर. निजी अस्पताल में उपचाररत युवक की मौत के बाद गुस्साए परिजन ने अस्पताल में हंगामा करते हुए तोडफ़ोड़ की। परिजन का कहना था कि अस्पताल ने मौत की पुष्टि करने के बाद बॉडी सौंप दी थी। जब अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी तभी युवक की सांस चलने लगीं। इसके बाद परिजन तत्काल अस्पताल ले गए मगर वहां इलाज के लिए डॉक्टर नहीं थे। गुस्साए परिजन इमरजेंसी वार्ड में घुस गए और स्टाफ से अभद्रता करते हुए तोडफ़ोड़ भी की।


मालवीय नगर निवासी 20 वर्षीय चंद्रशेखर सेहरिया को शुक्रवार देर रात बेहोशी की हालत में मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया था। गंभीर स्थिति देखते हुए डॉक्टरों ने उसे वेंटीलेटर पर रखा। शनिवार सुबह न्यूरोलॉजिस्ट की टीम ने जांच की। सीटी स्कैन व अन्य जांच के बाद पाया कि चंद्रशेखर की स्थिति में सुधार की गुंजाइश नहीं है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार परिजन को इसकी जानकारी दे दी गई थी।

इसी आधार पर परिजन रविवार सुबह 10.40 बजे लामा (लीव अगेन्स्ट मेडिकल एडवाइस) पर ले गए। परिजन मृत मानकर अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे थे अचानक उसकी सांस चलने लगी। परिजन का कहना है कि चंद्रशेखर ने मां कहकर भी पुकारा। इसके बाद आनन-फानन में उसे दोबारा अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल पहुंचते ही परिजन भी इमरजेंसी वार्ड में घुस गए। यहां डॉक्टर नहीं होने की सूचना मिलने पर वे हंगामा करने लगे।

40 से ज्यादा लोगों की भीड़ देखकर स्टाफ और अन्य मरीज व परिजन घबरा गए। हंगामा करने वालों ने अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए इमरजेंसी वॉर्ड में लगी ईसीजी मशीन, मॉनीटर और अन्य मशीनें भी तोड़ दी। करीब डेढ़ घंटे के हंगामे के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए एमवाय अस्पताल ले जाया गया। स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मेरी मृतक के परिजन से सहानुभूति है। घटना की गंभीरता से जांच कराई जाएगी।

मूकदर्शक बनी पुलिस, बंधक रहा स्टाफ

करीब आधे घंटे तक हंगामा चलने के बाद परिजन चंद्रशेखर को एक अन्य अस्पताल ले गए जहां उसे मृत घोषित किया गया। इसके बाद वे घर न जाते हुए फिर उसी अस्पताल पहुंचे। यहां दोबारा हंगामा किया। उन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल पहुंच गया था, मगर हंगामा करने वालों के सामने पुलिस मूकदर्शक बनी रही। सुरक्षा के मद्देनजर अस्पताल का मुख्य प्रवेश द्वार बंद करा दिया गया और किसी को भी भीतर जाने की अनुमति नहीं दी। करीब दो घंटे तक अस्पताल का स्टाफ और अन्य मरीजों के परिजन बंधक ही बने रहे।

नहीं जारी किया था मृत्यु प्रमाण पत्र

मे दांता अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप श्रीवास्तव ने बताया, हमारी ओर से कोई मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। परिजन अपनी मर्जी से ब्रैन डैड पेशेंट को डिस्चार्ज कराकर ले गए थे। परिजन को इसकी पूरी जानकारी थी। संभवत: किसी के कहने में आकर परिचितों ने हंगामे और तोडफ़ोड़ की हरकत की है। बिल चुकाने के बाद बॉडी सौंपने की बात गलत है। भर्ती करते समय परिजन से 5 हजार रुपए जमा कराए थे। मेडिक्लेम होने के कारण बाकी राशि कंपनी से मिलना है। 5 हजार रुपए लौटाए जा रहे हैं।


मेदांता अस्पताल में चंद्रशेखर की मौत के बाद परिवार ने ईलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। इसी को लेकर हंगामे की स्थिति बन गई थी। पुलिस मौके पर पहुंची और समझाइश देकर मामला शांत किया। चंद्रशेखर की मौत के मामले में मर्ग कायम कर जांच शुरू की है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अगर ईलाज में लापरवाही सामने आती है तो केस दर्ज किया जाएगा। अस्पताल प्रबंधन ने अभी कोई शिकायत नहीं की है। – तहजीब काजी, टीआइ

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