यहां कम्युनिकेशन स्किल से मतलब अंग्रेजी भाषा का ज्ञान समझ लिया जाता है। सिर्फ २ प्रतिशत स्टूडेंट और प्रोफेशनल्स के पास ही बेहतर कम्युनिकेशन नॉलेज है। कई यंग प्रोफेशनल्स ठीक से पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन भी नहीं दे पाते।
यह बात मास्टर माइंड फाउंडेशन द्वारा यंग अचीवर्स कैटेगरी में वुमन आइकॉन अवॉर्ड से सम्मानित शहर की सॉफ्ट स्किल ट्रेनर नेहा फ तेहचंदानी ने पत्रिका से बातचीत में कही। 65 प्रतिशत स्टूडेंट्स दबाव में लेते हैं डिसीजन : वे कहती हैं, मैंने लगभग १००० स्टूडेंट्स को सॉफ्ट स्किल्स की ट्रेनिंग दी है। इसमें पाया, लगभग ६५ प्रतिशत स्टूडेंट्स फैमिली के दबाव या दोस्तों की देखादेखी कॅरियर का निर्णय लेते हैं। ९० प्रतिशत युवा स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान ही नहीं देते। अपनी क्षमता और पैकेज के बजाय सैलरी पैकेज और कंपनी ओर देखते हैं। लगभग ८० प्रतिशत युवा लर्निंग की जगह अर्निंग को ध्यान में रखकर जॉब सलेक्ट करते हैं।
महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी
निजी ऑब्जर्वेशन के अनुसार मैंने जाना, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में आत्मविश्वास ६० प्रतिशत कम होता है। इसकी बड़ी वजह है उनका लालन-पालन। महिलाओं को बचपन से घरेलू जिम्मेदारियों की सीख दी जाती है। महिला-पुरुष दोनों को ही समान वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए।
निजी ऑब्जर्वेशन के अनुसार मैंने जाना, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में आत्मविश्वास ६० प्रतिशत कम होता है। इसकी बड़ी वजह है उनका लालन-पालन। महिलाओं को बचपन से घरेलू जिम्मेदारियों की सीख दी जाती है। महिला-पुरुष दोनों को ही समान वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए।
जिंदगी से मान ली थी हार
अपने निजी सफर के बारे में नेहा कहती हैं, रिजेक्शन और फेल्योर जिंदगी का हिस्सा हैं। मुझे याद है, तीन साल पहले जब मैंं नौकरी छोड़ चुकी थी और पर्सनल लाइफ में भी कई परेशानिया थीं, तब दिमाग में जिंदगी खत्म करने का भी ख्याल आया था। तब खुद को मोटिवेट किया। आज खुद को इस जगह देखकर जाना, फेल्योर से बड़ा गाइड नहीं होता।
सक्सेस मंत्रा- मेरी सलाह है, पैरेंट्स बच्चों को बचपन से सिखाएं लाइफ में फेल्योर और रिजेक्शन आने वाले हैं। इससे उनकी आधी परेशानी हल हो जाएगी।
अपने निजी सफर के बारे में नेहा कहती हैं, रिजेक्शन और फेल्योर जिंदगी का हिस्सा हैं। मुझे याद है, तीन साल पहले जब मैंं नौकरी छोड़ चुकी थी और पर्सनल लाइफ में भी कई परेशानिया थीं, तब दिमाग में जिंदगी खत्म करने का भी ख्याल आया था। तब खुद को मोटिवेट किया। आज खुद को इस जगह देखकर जाना, फेल्योर से बड़ा गाइड नहीं होता।
सक्सेस मंत्रा- मेरी सलाह है, पैरेंट्स बच्चों को बचपन से सिखाएं लाइफ में फेल्योर और रिजेक्शन आने वाले हैं। इससे उनकी आधी परेशानी हल हो जाएगी।
इन तीन स्किल्स की कंपनी करती है डिमांड
1. कम्युनिकेशन स्किल्स
2. प्रोफेशनलिज्म
3. टीम प्लेयर और लीडरशिप स्किल्स
1. कम्युनिकेशन स्किल्स
2. प्रोफेशनलिज्म
3. टीम प्लेयर और लीडरशिप स्किल्स