जीएसटी व्यवस्था के तहत कंपनियों को पुरानी व्यवस्था के अंतर्गत किये गये स्टॉक की खरीद पर चुकाए गए कर के क्रेडिट का दावा करने की सुविधा दी गई है। यह सुविधा जीएसटी लागू होने के छह महीने बाद तक के लिए ही उपलब्ध है। सीबीईसी ने कंपनियों और उद्यमियों की ओर से किए गए भारी-भरकम दावों को देखते हुए मुख्य आयुक्तों को 11 सितंबर को पत्र भेजा है। उसमें बोर्ड ने कहा कि 162 कंपनियों द्वारा एक करोड़ रुपए से अधिक के क्रेडिट का दावा किया गया है। बोर्ड ने इन दावों की जांच करने के लिए कहा है। कर प्रशासन की जांच के बाद ही तय होगा कि इन कंपनियों के दावे सही हैं या नहीं।
65 हजार करोड़ रुपए के क्लेम
जुलाई में अपना पहला जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के साथ ही कंपनियों ने बकाया दावा के लिए ट्रान-1 फॉर्म भी दाखिल किया था। इन कंपनियों ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और मूल्यवर्धित कर (वैट) के तहत 65 हजार करोड़ रुपए से अधिक के बकाए का दावा किया था। सीबीईसी ने कहा है कि गलती से या गलतफहमी में अयोग्य बकाया दावे किए जाने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। एक करोड़ रुपए से अधिक क्रेडिट के दावों की तय समय सीमा में जांच होनी चाहिए।
20 सितंबर तक देनी है रिपोर्ट
बोर्ड ने अधिकारियों को कहा है कि वह 162 कंपनियों के दावों पर 20 सितंबर तक एक रिपोर्ट दें। सीबीईसी ने जीएसटी प्रणाली के तहत सिर्फ सही दावों को ही आगे बढ़ाया जाएगा। फील्ड ऑफिसरों को कहा गया है कि वह ट्रान-1 रिटर्न को पुरानी रिटर्न से मिलाए। उन्हें यह भी जांचने के लिए कहा गया है कि ये दावे जीएसटी कानून के तहत सही है या नहीं। पिछले सप्ताह तक कुल 59.97 लाख करदाताओं में से 70 फीसदी ने रिटर्न दाखिल किया था।