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ट्रक हड़ताल का 8वां दिन: ट्रांसपोर्टर भुखमरी की कगार पर, सरकार बेखबर

locationनई दिल्लीPublished: Jul 27, 2018 11:20:02 am

Submitted by:

Manoj Kumar

ट्रक ऑपरेटरों की 20 जुलाई से चल रही देशव्यापी बेमियादी हड़ताल शुक्रवार 27 जुलाई 2018 को आठवें दिन भी जारी रही।

Truck Bus Strike

ट्रक हड़ताल का 8वां दिन: ट्रांसपोर्टर भुखमरी की कगार पर, सरकार बेखबर

नई दिल्ली। ट्रक ऑपरेटरों की 20 जुलाई से चल रही देशव्यापी बेमियादी हड़ताल शुक्रवार 27 जुलाई 2018 को आठवें दिन भी जारी रही। हड़ताल के कारण देशभर के करीब 90 लाख ट्रांसपोर्टर भुखमरी की कगार पर आ गए हैं, लेकिन सरकार इनकी बात सुनने को तैयार नहीं हो रही है। हड़ताल के सात दिन बीतने के बाद भी सरकार ने ट्रांसपोर्टरों से बातचीत के लिए कोई कदम नहीं बढ़ाया है। ट्रकों की आवाजाही से जरूरी सामान की आवाजाही पर असर पड़ रहा है। इस कारण सब्जी-फलों समेत कई वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं। देश की राजधानी दिल्ली समेत तमाम बड़े शहरों में जरूरी सामान की किल्लत होनी शुरू हो गई है।
कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित

ट्रकों की राष्ट्रव्यापी बेमियादी हड़ताल से विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं समेत औद्योगिक कच्चा माल समेत तैयार सामान की आवाजाही प्रभावित हुई है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने सरकार से ट्रकों की राष्ट्रव्यापी बेमियादी हड़ताल का तत्काल समाधान करने की अपील की है। सीएआई के प्रेसिडेंट अतुल गंतरा ने कहा है कि ट्रांसपोटरों की हड़ताल से रूई व कपास की आवक नहीं हो रही है, जिससे कारोबार ठप पड़ गया है। उन्होंने कहा कि कच्चे माल की आपूर्ति नहीं होने से मिलों बंद होने की स्थिति में आ गई है और कारोबारियों को भारी नुकसान हो रहा है। गंतरा ने कहा कि सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल उपाय करना चाहिए।
कपड़ा उद्योग भी प्रभावित

ट्रकों की हड़ताल के कारण कपड़ा उद्योग भी प्रभावित हुआ है। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजय जैन ने कहा कि ट्रकों की हड़ताल के कारण मिलों को कच्चा माल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कई मिलों में काम बंद हो गया है, जिससे कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों के लिए बेकारी की समस्या पैदा हो गई है। जैन ने कहा कि हम सरकार और हड़ताल करने वाले संगठनों से अपील करते हैं कि देश और जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए वे तत्काल समस्या का उचित समाधान करें क्योंकि इसमें विलंब होने से लोगों की समस्या और बढ़ जाएगी।
ये हैं ट्रक-बस ऑपरेटरों की प्रमुख मांगें

– डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इसके अलावा सभी राज्यों में डीजल की दरें एक समान की जाएं।

– टोल कलेक्शन सिस्टम को बदला जाए। टोल के मौजूद सिस्टम से टोल प्लाजा पर ईंधन और समय का नुकसान होता है। इससे ट्रक ऑपरेटरों को हर साल 1.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होता है।
– थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम से जीएसटी को हटाया जाए। साथ ही इससे एजेंट को मिलने वाले अतिरिक्त कमीशन को भी खत्म किया जाए।

– इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44AE में प्रिजेंप्टिव इनकम के तहत लगने वाले टीडीएस को बंद किया जाए।
– ट्रक ऑपरेटरों को राहत देने के लिए ई-वे बिल में बदलाव किया जाए।

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