यह भी पढ़ें – 2019 लोकसभा चुनाव में प्याज की मार से निपटने के लिए मोदी सरकार की तैयारी
अडानी विल्मर की अंतिम बोली पर ही हो सकता है फैसला
आपको बता दें कि, अडानी-विल्मर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के अडानी ग्रुप आैर सिंगापुर की कंपनी विल्मर की ज्वाइंट वेंचर है। रुचि सोया के अधिग्रहण के लिए अडानी-विल्मर ने 5474 करोड़ रुपए की बोली लगार्इ थी, जो कि अब तक की सबसे बड़ी बाेली है। इसमें बोली से मिलने वाले रकम से लेंडर्स को 4300 करोड़ रुपए का दिया जाने वाला रकम भी शामिल है। अडानी विल्मर द्वारा लगार्इ गर्इ इस बोली को इसलिए भी उंचा माना जा रहा है क्योंकि इवैल्यूएशन के पैमाने के मुताबिक लोन सेटलमेंट का वेटेज किसी कपंनी को चलाए जाने वाले फंड से ज्यादा होता है।
यह भी पढ़ें – JIO धमाके के बाद अब मुकेश अंबानी यहां करने जा रहे हैं निवेश
पतंजलि आैर बड़ी बोली लगाने के लिए नहीं है तैयार
इसके पहले लेंडर्स ने दोनों बिडर्स को अपने तरफ से लगार्इ गर्इ बोली को आैर अागे बढ़ाने का मौका दिया था। पतंजलि के पास अडानी विल्मर की बोली से ज्यादा आॅफर देने के लिए शनिवार सुबह तक का समय था। लेकिन पतंजलि ने अौर अधिक बोली लगाने से इन्कार कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि पतंजलि पहले से एक कंगाल कंपनी के लिए इससे ज्यादा पैसे नहीं खर्च करना चाहती है। गौरतलब है कि रुचि सोय उन 40 कंपनियों में से एक है, जिन्हें भाारतीय रिजर्व बैंक ने डेब्ट रिजाॅल्यूशन के लिए बैंकरप्ट्सी कोड में भेजने की तैयारी में था।