एअर इंडिया के इस अधिकारी ने बताया, “सरकार ने एअर इंडिया को सॉवरेन गारंटी ( Sovereign Guarantee ) के तौर पर 7,000 करोड़ रुपये दिए हैं। इसमें से अब विमान कंपनी के पास केवल 2,500 करोड़ रुपये ही बचे हैं, जो कि आने वाले कुछ दिनों में ही खत्म हो जाएंगे।”
कर्मचारियों के वेतन में देरी
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस 2,500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल वेंडर्स के बकाये को पूरा करने में खत्म हो जाएगा। इसमें तेल कंपनियों का भुगतान, एयरपोर्ट ऑपरेटर्स का खर्च और कुछ महीनों का वेतन ही संभव हो सकेगा। एअर इंडिया के कर्मचारियों का वेतन प्रति माह 300 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है। कंपनी कई बार से कर्मचारियों को वेतन देने में देरी करती रही है। मई माह में ही 10 दिन की देरी के बाद से वेतन दिया गया था।
बजट में नहीं कोई अतिरिक्त मांग
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, एअर इंडिया की वित्तीय परेशानियों पर सरकार की नजर बनी हुई है। हालांकि, नागर विमानन मंत्रालय ने आगामी 5 जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट में एअर इंडिया के लिए अतिरिक्त फंड की मांग नहीं की है। मंत्रालय की तरफ से वही डिमांड किए गए हैं जो अंतरिम बजट में किया गया था।
एअर इंडिया पर कुल 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज
अंतरिम बजट में एअर इंडिया की कर्ज और संपत्तियों का ब्यौरा रखने वाली कंपनी एअर इंडिया एसेट्स होल्डिंग्स लिमिटेड को 3,900 करोड़ रुपये दिया गया था, ताकि वो अपना कर्ज चुका सके। इस कंपनी ने एअर इंडिया पर कुल 58,000 करोड़ रुपये के कर्ज में से 29,464 करोड़ रुपये का कर्ज अपने पास लिया था।
चालू वित्त वर्ष में ही 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में एअर इंडिया को 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना है। लोन सर्विस करने में सक्षम न होने पर कंपनी ने सरकार से मदद मांगी है। हालांकि, इस बात के बहुत कम आसार हैं कि सरकार इस मोर्चे पर एअर इंडिया की मदद कर सकेगी, क्योंकि सरकार कंपनी में 100 फीसदी विनिवेश का प्लान बना रही है। एक अधिकारी के मुताबिक, कंपनी अपने आधे कर्ज (जोकि कैपिटल डेट है) को अगले साल रिपेमेंट के लिए रोलओवर कर सकती है। लेकिन, कंपनी के पास बाकी कर्ज का भुगतान करने के लिए पूंजी नहीं है। यह कर्ज एयरक्राफ्ट के लिए गए कर्ज हैं।
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