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अब 100 फीसदी प्राइवेट हाथों में जाएगा एअर इंडिया, विनिवेश के बाद भी बना रहेगा ब्रांड

Published: Jan 27, 2020 04:37:32 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

एअर इंडिया एक्सप्रेस और एअर इंडिया एसएसएस की बिकेगी पूरी हिस्सेदारी
निवेशक 28 जनवरी से 11 फरवरी तक अपने संदेह और प्रश्नों को भेज सकेंगे
विनिवेश को पात्रता, कंसोर्टियम बनाने की शर्तों को भी बनाया गया है आसान

Air India recruitment 2019

Air India recruitment 2019

नई दिल्ली। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की विमान सेवा कंपनी एअर इंडिया के शत-प्रतिशत विनिवेश के लिए सोमवार को निविदा जारी कर दी और अभिरुचि पत्र जमा कराने की अंतिम तिथि 17 मार्च रखी गई है। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विनिवेश के बाद भी मूल ब्रांड ‘एअर इंडिया’ बना रहेगा। एअर इंडिया एक प्रकार से ऋण के जाल में फंस गई है, जिसे उबारने के लिए सरकार के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं इसलिए इसका निजीकरण अनिवार्य हो गया था।

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एयर इंडिया के अलावा इकाईयां भी बिकेगी
उन्होंने कहा कि एअर इंडिया की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी के अलावा उसकी इकाइयों एअर इंडिया एक्सप्रेस और एयर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की भी पूरी हिस्सेदारी भी बेची जाएगी। एअर इंडिया एक्सप्रेस एयर इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली विमान सेवा कंपनी है जबकि एअर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज में उसकी 50 फीसदी हिस्सेदारी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इच्छुक निवेशक 28 जनवरी से 11 फरवरी तक अपने संदेह तथा प्रश्न भेज सकेंगे। सरकार 25 फरवरी तक प्रश्नों का जवाब देगी और 17 मार्च तक अभिरुचि पत्र जमा कराए जा सकेंगे। अभिरुचि पत्र जमा कराने वाले पात्र निवेशकों को 31 मार्च तक सूचित कर उनसे अंतिम वित्तीय बोली आमंत्रित की जाएगी।

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दो सालों में सरकार की दूसरी कोशिश
गौरतलब है कि सरकारी विमान सेवा कंपनी के विनिवेश के लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्रियों के समूह ने इस महीने के आरंभ में एअर इंडिया के विनिवेश की शर्तों को मंजूरी दी थी। यह दो साल में एअर इंडिया के विनिवेश का दूसरा प्रयास है। मई 2018 में किसी भी खरीदार के सामने नहीं आने से विनिवेश का प्रयास विफल रहा था। पुरी ने दावा किया कि इस बार विनिवेश की शर्तें निवेशकों को ज्यादा आकर्षित कर सकेंगी। पिछली बार 76 फीसदी हिस्सेदारी बेची जानी थी जबकि इस बार शत-प्रतिशत हिस्सेदारी को बिक्री के लिए रखा गया है।

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नियमों में दी गई छूट
इसके अलावा संभावित खरीदारों के लिए पात्रता और कंसोर्टियम बनाने की शर्तों को भी आसान किया गया है। खरीदार कंपनी या कंसोर्टियम का नेटवर्थ 3,500 करोड़ रुपए या अधिक होना चाहिए जबकि कंसोर्टियम के माध्यम से बोली लगाने वाली कंपनी के लिए कंसोर्टियम में कम से कम 10 फीसदी की हिस्सेदारी होनी जरूरी है। इसका मतलब है कि किसी कंपनी का नेटवर्थ 3500 करोड़ रुपए होने पर भी वह कंसोर्टियम के माध्यम से बोली लगा सकेगी।

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