बैंकों का है पहला हक
2 अगस्त को जारी आदेश में अपीलेट ट्राइब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस मनमोहन सिंह ने कहा, ‘अपील करने वाले बैंक ने अपने पास गिरवी रखी गर्इ जिन प्राॅपर्टीज के बदले लोन दिया हो, उन्हें तब तक कुर्क या जब्त नहीं किया जा सकता है, जब तक कि प्रत्यक्ष या परोक्ष सांठगांठ की बात साबित न हो जाए।’ अपने आदेश में सिंह ने आगे कहा है, गिरवी रखी प्राॅपर्टीज दिए गए नए लोन पर सेक्योरिटी होती हैं। उन्हें कुर्क नहीं किया जा सकता है, खासतौर पर तब जब उन्हें उधार लेने वालों ने फंड डायवर्जन या धोखाधड़ी करने से पहले खरीदा आैर गिरवी रखा हो।’
बैंकों को मिलेगी बड़ी रहात
गौरतलब है कि ट्राइब्यूनल के इस फैसले से उन बैंकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है जो एेसे डिफाॅल्टर्स से पैसे रिकवरी करने की लड़ार्इ लड़ रहे हैं, आैर प्रवर्तन निदेशालय आैर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो इन मामलों की जांच कर रहीं है। इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि कर्ज की बोझ से डूबे बैंकों को अपनी बैलेंसे शीट सुधारने में मदद मिलेगा। ट्राइब्यूनल ने अपने इस फैसले के लिए ‘अपराध से हासिल चील’ की परिभाषा सहारा लिया। कहा है कि, कोर्इ भी जांच एजेंसी एेसी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती है जो उस अापराधिक गतिविधि से जुटार्इ गर्इ संपत्ति से नहीं खरीदी गर्इ हों।