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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एस्सार स्टील के लिए बोली लगानी है तो पहले कर्ज चुकाएं आर्सेलर मित्तल व न्यूमेटल

locationनई दिल्लीPublished: Oct 04, 2018 01:19:43 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को साफ कर दिया कि यदि आर्सेलर मित्तल व न्यूमेटल को एस्सार स्टील लिमिटेड के लिए बोली लगानी है तो इससे पहले उन्हें अपने आउटस्टैंडिंग बकाए को क्लियर करना होगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आर्सेलर मित्तल व न्यूमेटल कर्ज चुकाने के बाद ही एस्सार स्टील के लिए लगा सकेंगे बोली

नर्इ दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को साफ कर दिया कि यदि आर्सेलर मित्तल व न्यूमेटल को एस्सार स्टील लिमिटेड के लिए बोली लगानी है तो इससे पहले उन्हें अपने आउटस्टैंडिंग बकाए को क्लियर करना होगा। एक बार जब ये बकाया पूरा हो जाता है तो उसके बाद दोनों कंपनियां अपनी बोली सबमिट कर सकती हैं। जस्टिस आर नरीमन की अध्यक्षता वाले दाे जजों के बेंच ने सुनवार्इ के दौरान ये फैसला सुनाया। इसके बाद एस्सार स्टील के उधारकर्ता आठ हफ्तों के अंदर सबसे बड़ी बोली को चुनेंगे।


चुकाना होगा 7 हजार करोड़ रुपए का कर्ज

इसके पहले 7 सितंबर को नेशनल कंपनी लाॅ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के एक अोदश में कहा गया है कि आर्सेलर मित्तल एस्सार स्टील के लिए बोली लगाने के लिए तब तक योग्य नहीं है जब तक की वो 7 हजार रुपए के कर्ज को नहीं चुकाती है। 7 हजार करोड़ रुपए का ये लोन डिफाॅल्ट उत्तम गाल्वा लिमिटेउ व केएसएस पेट्रोन लिमिटेड ने किया है। बता दें कि उत्तम गाल्वा में आर्सेलर मित्तल की 29 फीसदी की हिस्सेदारी है आैर वो इस कंपनी की को-प्रोमोटर भी है। आर्सेलर मित्तल की हिस्सेदारी केएसएस ग्लोबल में भी है जिसकी पेरेंट कंपनी केएसएस पेट्रोन भी है।


मानना होगा दिवालिया कानून के प्रावधानों को

इन्सॉल्वेंसी व बैंकरप्सी कोड, 2016 (दिवालिया कानून) के सेक्शन 29A के तहत किसी भी कंपनी को यदि गैर-निष्पादित अस्तियाें (एनपीए) के तौर पर लिस्ट किया जाता है तो वो किसी दूसरे कंपनी के रिज्याॅलूशन प्रोसेस में भाग नहीं ले सकती है। इसके लिए उसे सबसे पहले अपने बकाए को जमा करना होगा। एनसीएलटी ने अपने आदेश में पाया कि दोनों कंपनियों पर आर्सेलर मित्तल का निगेटिव कंट्रोल रहा है आैर इसलिए वो भी कर्ज चुकाने के लिए जिम्मेदार है। निगेटिव कंट्रोल का ये मतलब होता है कि शेयरधारकों को कंपनी के किसी भी फैसले में हस्तक्षेप करने का हक होता है।

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