चुकाना होगा 7 हजार करोड़ रुपए का कर्ज
इसके पहले 7 सितंबर को नेशनल कंपनी लाॅ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के एक अोदश में कहा गया है कि आर्सेलर मित्तल एस्सार स्टील के लिए बोली लगाने के लिए तब तक योग्य नहीं है जब तक की वो 7 हजार रुपए के कर्ज को नहीं चुकाती है। 7 हजार करोड़ रुपए का ये लोन डिफाॅल्ट उत्तम गाल्वा लिमिटेउ व केएसएस पेट्रोन लिमिटेड ने किया है। बता दें कि उत्तम गाल्वा में आर्सेलर मित्तल की 29 फीसदी की हिस्सेदारी है आैर वो इस कंपनी की को-प्रोमोटर भी है। आर्सेलर मित्तल की हिस्सेदारी केएसएस ग्लोबल में भी है जिसकी पेरेंट कंपनी केएसएस पेट्रोन भी है।
मानना होगा दिवालिया कानून के प्रावधानों को
इन्सॉल्वेंसी व बैंकरप्सी कोड, 2016 (दिवालिया कानून) के सेक्शन 29A के तहत किसी भी कंपनी को यदि गैर-निष्पादित अस्तियाें (एनपीए) के तौर पर लिस्ट किया जाता है तो वो किसी दूसरे कंपनी के रिज्याॅलूशन प्रोसेस में भाग नहीं ले सकती है। इसके लिए उसे सबसे पहले अपने बकाए को जमा करना होगा। एनसीएलटी ने अपने आदेश में पाया कि दोनों कंपनियों पर आर्सेलर मित्तल का निगेटिव कंट्रोल रहा है आैर इसलिए वो भी कर्ज चुकाने के लिए जिम्मेदार है। निगेटिव कंट्रोल का ये मतलब होता है कि शेयरधारकों को कंपनी के किसी भी फैसले में हस्तक्षेप करने का हक होता है।