साथ ही ऑटो सेक्टर को फंड बढ़ाने और डीलर्स को 60 दिन की जगह 90 दिनों तक के लिए लोन देने और कुछ समय के लिए टैक्स छूट जैसी राहतों पर भी विचार किया जा रहा है।
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छिन चुकी है 20 हजार लोगों की नौकरियां
बता दें कि आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। मंदी के दौर से बाहर निकलने के लिए वित्त मंत्रालय अब ऑटो और रियल्टी सेक्टर के प्रतिनिधियों से बात कर रहा है। ऑटो मैन्युफैक्चर्स संगठन सियाम ने हाल ही में कहा है कि सुस्ती के कारण ऑटो कंपनियां अब तक करीब 20 हजार लोगों को नौकरियों से निकाल चुकी हैं। इसके अलावा करीब 13 लाख लोगों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है।
ऑटो पाट्र्स पर जीएसटी कम करने की मांग
गत शनिवार को भी दिल्ली के व्यापारियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर से मुलाकता कर अमनी समस्याओं के बारे में जानकरी दी। व्यापारियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री से कहा कि अभी तक ऑटो के अधिकतर पाट्र्स पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। आम आदमी की जरूरतों को देखते हुये ऑटो पाट्र्स को लग्जरी आइटम्स के स्लैब में नहीं रखा जाना चाहिये। इन व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि ऑटो पाट्र्स पर लगने वाले टैक्स को 28 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दिया जाये। इन व्यापारियों ने भी पुरीनी गाडिय़ों के लिए स्क्रैप पॉलिसी की भी मांग की है।
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उत्पादन में भारी गिरावट
गौरतलब है कि घटते मांग को देखते हुये ऑटो सेक्टर में उत्पादन में भारी गिरावट आई है। राज्यसभा सांसद संजय सिंह की अगुवाई में हुये बैठक में सीटीआई बृजेश गोयल ने बताया कि ऑटो सेक्टर की मंदी पर चर्चा हुई। मांग में कमी से उत्पादन घट रहा है और बड़े तादाद में नौकरियां छिन रही हैं।
ऑटोमोबाइल वेलफेयर बोर्ड गठन करने की मांग
व्यापारियों ने कहा है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में खत्म हो रही नौकरियों को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ऑटोमोबाइल वेलफेयर बोर्ड का गठन करे, जिसमें शीर्ष ऑटो मोबाइल कंपनी के साथ ऑटो रिप्लेसमेंट पाट्र्स के व्यापारियों को शामिल किया जाए। इससे कारोबारियों की दिक्कतें सरकार तक पहुंच पाएंगी। जीएसटी की तारीख 31 दिसंबर की जाए।