प्रदूषण से बनता जा रहा कमार्इ का मौका
दरअसल, हवा प्रदुषण की वजह से लोग खुद को इसके दुष्प्रभाव से दूर रखने के लिए कर्इ तरह के तरीके अपना रहे हैं जैसे – मास्क पहनना, कमरे में एयर प्युरिफायर रखना, चारकोल बैग का इस्तेमाल करना आदि। वायु प्रदूषण की वजह से सबसे अधिक परेशानी अस्थमा जैसी बीमारियों के मरीजों काे होती है। दिल्ली में मास्क पहने हुए घूमते लोग देखना अब बेहद ही आम बात हो गया है। यही कर्इ तरह के स्टार्टअप्स के लिए कमार्इ का मौका बनता जा रहा है। नैनोक्लिन ग्लाेबल नाम की एक नए स्टार्टअप भी प्रदूषण से बचने के लिए मास्क बनाती है।
तेजी से बढ़ रहा मिनी इंडस्ट्री का कारोबार
भारतीय प्रद्यौगिकी संस्थान (आर्इआर्इटी)-दिल्ली की रिसर्चर्स के साथ मिलकर खुले इस स्टार्टअप का दावा है कि उनका मास्क एक खास तरह के सेल्युलोज वाले फाइबर से बना हुआ है। ये फाइबर ही PM 2.5 आैर PM 10 जैसे खतरनाक पाॅल्युटेंट को राेकता है। कंपनी इसे 10 रुपए प्रति जोड़े के हिसाब से बेचती है जो कि 10 से 12 घंटे के लिए पहना जा सकता है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर से कर्इ मिनी इंडस्ट्री में तेजी देखने को मिल रही है क्योंकि एंटी-पाॅल्युटेंट प्रोडक्ट्स तेजी से मार्केट में बढ़ रहे हैं। एयर प्युरिफायर आैर मास्क से लेकर छोटे चारकोल बैग जिनका इस्तेमाल इनडोर हवा को साफ करने के लिए किया जाता है, बाजार में इनकी पकड़ तेजी से बढ़ती जा रही है। सिर्फ छोटी कंपनियां ही नहीं बल्कि कर्इ बड़ी कंपनियां भी तेजी से बाजार में प्रदूषण से लड़ने के लिए अपने प्रोडक्ट्स उतार रही हैं।
40 फीसदी तक बढ़ा एंटी पाॅल्युटेंट्स वाले ब्युटी प्रोडक्ट्स का कारोबार
मार्केटिंग एंड रिसर्च फर्म के मुताबिक, एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में उन ब्यूटी एंड पर्सनलकेयर प्रोडक्ट्स में तेजी से इजाफा हो रहा है जो एंटी-पाॅल्युटिंग होने का दावा करती हैं। इन प्रोडक्ट्स में 40 फीसदी का ये इजाफा साल 2011 से 2013 के बीच में हुआ है। खास बात है कि ये स्टार्टअप्स इनडोर प्रदूषण रोकने के लिए भी अपने प्रोडक्ट्स बाजार में उतार रही हैं। ब्रीदफ्रेश नाम की एेसी ही कंपनी ने दिल्ली में बीते डेढ़ साल में करीब 30 हजार से भी अधिक एयर प्युरिफाइंग बैग्स बेच चुकी है। इस बैग की साइज एक डेस्क कैलेंडर जितनी है जिसमें एक्टिवेटेड चारकोल होता है। ये बैग छह महीनों के लिए काम करता आैर फिर बाद में इसे धूप में एक घंटे रखने पर दोबार रिचार्ज किया जा सकता है।