खतरे में पड़ सकता है बैंकों द्वारा दिया गया उधार
भारतीय स्टेट बैंक को उधार देने वाले उधारकर्ताआें में सबसे प्रमुख है। बैंक ने कहा है कि बैंक के द्वारा दिए गए 774 करोड़ रुपये की गारंटी को रीइश्यू करना या आगे आैर बढ़ाने से बैंकों पर निर्भर करता है। एेसे में हम टेलिकाॅम डिपार्टमेंट से अनुरोध करते हैं कि अपने फैसले के बारे में दोबार सोचे। इससे रिलायंस कम्युनिकेशंस पर को दिए गए कर्ज को रिकवर करने में उधारकर्ताआें को मदद मिलेगी। टेलिकाॅम सचिव अरूणा सुंदरराजन को लिखे गए पत्र में एसबीआर्इ के प्रमुख रजनीश कुमार ने कहा है, “इस समय में एसबीआर्इ समेत सभी उधारकर्ता कंपनी के साथ मिलकर कर्ज को रिइश्यू करने या रिकवर करने की संभावनाआें के बारे में विचार कर रहे हैं।”
जनू में डिपाॅर्टमेंट आॅफ टेलिकम्युनिकेशंस ने आरकाॅम को जारी किया था नोटिस
एसबीआर्इ ने डिपार्टमेंट आॅफ टेलिकम्यूनिकेशंस से कहा है कि आरकॅाम आैर उधारकर्ताआें का कंसाॅर्टियम एक ट्रार्इ-पार्टिट अग्रीमेंट पर काम कर रही है जिसमें लाइसेंस को लोन के संबंध में सेक्योरिटी के तौर पर प्रयोग किया जाएगा। बैंक ने आगे कहा कि आरकाॅम का अकाउंट उसके खाते में एनपीए (फंसे कर्ज) की श्रेणी में आ चुका है। इसमें दूसरे उधारकर्ता भी शामिल हैं। टेलिकाॅम डिपार्टमेंट द्वारा लिया गया ये फैसला बैंकों के कर्ज को खतरे में डाल सकता है। गौरतलब है कि पिछले माह यानी जून में डिपार्टमेंट आॅफ टेलिकाॅम ने अारकाॅम को एक नोटिस जारी किया था जिसमें रिलायंस कम्युनिकेशंस से पूछा गया था कि उसके लाइसेंस रद्द किए जाने आैर स्पेक्ट्रम को रिवोक ने किए जाने के लिए कारण बताए।