इतने आवेदन हुए खारिज
रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 के दौरान टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, कॉग्निजेंट और इन्फोसिस के एच-1बी वीजा एक्सटेंशन के अनुरोध सबसे ज्यादा खारिज हुए है इन्फोसिस और टीसीएस पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा। इन्फोसिस के 2042 आवेदन खारिज हुए हैं। वहीं टीसीएस के मामले में इनकी संख्या 1744 रही। ये आंकड़े सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज ने एच-1बी डेटा की एनालिसिस के बाद जुटाए हैं। अमरीका में हेडक्वॉर्टर वाली और अपने अधिकतर कर्मचारी भारत में रखने वाली कॉग्निजेंट के 3548 आवेदन साल 2018 में खारिज हुए। यह किसी भी कंपनी के लिए सर्वाधिक संख्या रही।
अमरीकी कंपनियों ने मिले इतने परमिट
सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज के अनुसार टीसीएस, इन्फोसिस , विप्रो, कॉग्निजेंट के अलावा टेक महिंद्रा और एचसीएल टेक्नॉलजीज की अमरीकी इकाइयों के खारिज हुए आवेदनों की संख्या टॉप 30 कंपनियों के ऐसे आवेदनों के करीब दो तिहाई पर रही। इन छह कंपनियों को महज 16 फीसदी यानी 2145 एच-1बी वीजा परमिट मिले। साल 2018 में अकेले अमेजन को 2399 वीजा परमिट मिले हैं। एच-1बी वीजा का उपयोग अधिकतर टेक्नॉलजी प्रफेशनल्स करते हैं। ये शुरू में तीन साल के लिए दिए जाते हैं। इन्हें और तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और एप्पल जैसी अमरीकी कंपनियों ने साल 2018 में अपनी एच-1बी वीजा वर्कफोर्स बढ़ाई, वहीं कॉग्निजेंट, टाटा और इन्फोसिस सरीखी बड़ी भारतीय कंपनियों के मामले में वीजा परमिट घटा दिया गया।
अप्रैल से लागू होगा नया नियम
जनवरी में अमरीका ने नया नियम पेश किया, जो अप्रैल से लागू हो जाएगा। पए नियमों के अनुसार पहले 65000 एच-1बी वीजा की लॉटरी के लिए यूएस एडवांस्ड डिग्री होल्डर्स के वर्क वीजा आवेदन शामिल होंगे। इससे उन अमरीकी कंपनियों को फायदा होगा, जो इंडियन टैलेंट की तलाश में होंगे। भारत ने कहा है कि अमरीका के साथ व्यापार के मसले सुलझाने के लिए उसने बहुत प्रयास किया है। भारत के साथ अमरीकी ट्रेड डेफिसिट साल 2018 में घटकर 21.3 अरब डॉलर पर आ गया, जो साल 2017 में 22.9 अरब डॉलर पर था।