छोटे किसानों को होगा बड़ा फायदा अध्ययन के मुताबिक, देश का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आने वाले वर्षों में मात्रा की तुलना में मूल्य के आधार पर अधिक बढ़ेगा ,जिससे यह स्पष्ट होता है कि दुनिया भर में भारतीय उत्पाद की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। एसोचैम का कहना है कि यह छोटे किसानों के लिये एक सुनहरा अवसर होगा, जो निर्यातकों के साथ मिलकर अपनी आय बढ़ाने की दिशा में काम कर सकते हैं। ऐसे किसान करार करके खेती कर सकते हैं या उन्नत प्रौद्योगिक उपकरणों का इस्तेमाल करके उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
उत्तरी राज्यों की होगी ज्यादा हिस्सेदारी अध्ययन के अनुसार देश के खुदरा खाद्य क्षेत्र में उत्तरी राज्यों की हिस्सेदारी 29.56 फीसदी, पश्चिमी प्रदेशों की 25.39 फीसदी और दक्षिणी राज्यों की 27.19 फीसदी है जबकि पूर्वी क्षेत्रों की हिस्सेदारी मात्र 17.86 फीसदी है। बिहार, झारखंड और उत्तरपूर्वी राज्यों में बड़ी रिटेल कंपनियों की मौजूदगी चार-पांच शहरों तक ही सीमित है जिससे पूर्वी क्षेत्रों की हिस्सेदारी कम है। कंपनियां मुख्य रूप से मूल्य नियंत्रण और बड़े ऑफर देकर उपभोक्ताओं को आकर्षित करने पर ध्यान दे रही हैं।
कांट्रेक्ट फार्मिंग में होगी तेज वृद्धि मूल्य नियंत्रण का एकमात्र तरीका उत्पादों को सीधे निर्माता से हासिल करना जरूरी है। निर्माता तक सीधी पहुंच के लिए भंडारण, परिवहन आदि सुविधाएं उन्नत होनी चाहिए। ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते चलन के कारण ऐसे स्टोर की जरूरत बढ़ गई है जहां रिटेलर सभी वस्तुओं की खरीदारी एक ही जगह कर पाए ताकि उसे अलग अलग स्रोतों से सामान लाने में लगात न लगे। ऐसी स्थिति में कांट्रेक्ट फार्मिंग में तेज वृद्धि हो सकती है। आने वाले समय में कांट्रेक्ट फार्मिग से जुड़े व्यक्तियों या कंपनियों की रिटेलर के साथ पार्टनरशिप बढ़ेगी।