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भारतीय बाजार पर कब्जा करने के लिए फोर्ड की नर्इ रणनीति, लोकल स्तर पर किए ये बड़े बदलाव

locationनई दिल्लीPublished: Nov 06, 2018 04:35:26 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि र्इएमआेएम स्ट्रैटजी कंपनी के भारत में व्यापार को लेकर एक नया मोड़ साबित हो सकता है।

नर्इ दिल्ली। बीते दस साल में पहली बार फोर्ड मोटर कंपनी को पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में मुनाफा हुआ था। इस दिग्गज मोटर कंपनी को यह मुनाफा करीब दो साल पहले एक खास स्ट्रैटजी को अपनाने के बाद हुआ। कंपनी ने करीब दाे साल पहले इमर्जिंग मार्केट आॅपरेटिंग माॅडल (र्इएमआेएम) को अपनाया था, जिसके बाद कंपनी के काॅस्ट में 40 फीसदी की कमी आर्इ है। इसके साथ ही कंपनी अब अपना पूरा फोकस लोकल स्तर पर ही मैन्युफैक्चरिंग को लेकर दे रही है।


साल 2016 पहली बार पेश हुर्इ थी नर्इ स्ट्रैटेजी

कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि र्इएमआेएम स्ट्रैटजी कंपनी के भारत में व्यापार को लेकर एक नया मोड़ साबित हो सकता है। हालांकि कपंनी को अभी भी लोकल पैसेेंजर व्हीकल्स में 3 फीसदी का मामूली घाटा हुआ है। कंपनी को भारत में खुद को सफल करने के लिए अभी भी कड़ी मशक्कत करनी होगी। इस स्ट्रैटेजी के तहत फोर्ड महिंद्रा के साथ पैसेंजर व्हीकल्स में पकड़ बनाने के प्रयास में लगी है। गौरतलब है कि फोर्ड एशिया व इंडिया के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने र्इएमआेएम स्ट्रैटजी को साल 2016 में शंघार्इ बैठक के दौरान पहली बार पेश किया था। हालांकि की कंपनी अभी आैपचारिक तौर पर इसे किसी दूसरे बाजार में नहीं अपनाया है।


2020 तक कार बिक्री के माले में दुनिया की तीसरा बड़ा देश बन जाएगा भारत

बीते दो दशक में कपनी ने भारतीय बाजार में 2 अरब डाॅलर का निवेश किया है। पिछले साल कंपनी की कार सेल में 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुर्इ है। इसके साथ ही साल 2020 तक भारत में कार बिक्री के मामले में दुनिया का तिसरा सबसे बड़ा देश बन जाएगा। आर्इएचएस मार्किट की एक रिसर्च के मुताबिक साल 2020 तक भारत में करीब 50 लाख कारों की बिक्री हुर्इ है। बताते चलें कि फोर्ड के अलावा कर्इ वैश्विक कार कंपनियों को भारतीय बाजार में अपनी पकड़ बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी है। इसके बाद कर्इ कंपनियों पर निवेशकों द्वारा मुनाफेवाले बाजार जैसे इलेक्ट्रिक आैर आॅटोनाॅमस व्हीकल्स की तरफ बढ़ने के लिए विवश होना पड़ा। मौजूदा समय में कारों की बिक्री के मामले में मारुति सुजुकी देश की अग्रणी कंपनी है। मारुति सुजुकी अपनी हर दो में से एक कार भारत में ही बेचती है। भारतीय बाजार में इस कंपनी की सफलता का सबसे बड़ा राज है कि इस कंपनी के पास उत्पादों की एक बड़ी रेंज है, कम कीमत आैर डीलरशीप का बहुत बड़ा नेटवर्क है। मारुति के पास खुद के फैसले लेने वाली एक लोकल टीम है जो बाजार में होने वाले किसी भी बदलाव पर फौरन रिएक्ट करती है।

Ford

विदेशी कंपनियां लोकल मैनेजमेंट को नहीं देती पर्याप्त आॅटोनाॅमी

लेकिन पश्चिमी कार कंपनियां स्वायत्ता के मामले में जापान की सुजुकी आैर दक्षिण कोरिया की हुंडर्इ के आसपास भी नहीं भटकती हैं। पश्चिमि कंपनियां आमतौर पर अपने वैश्विक उत्पादों के कोर्इ बदलाव करने से कतराती हैं। इसके साथ ही इनकी लोकल टीम के पास इतनी स्वायत्तता नहीं है कि वो खुद के हिसाब से फैसले ले सकें। लेकिन अब फोर्ड की नर्इ नीति के बाद कंपनी अपने लोकल मैनेजमेंट टीम को आॅटोनाॅमी दे रही है। कंपनी को इस नीति से शुरुआती फायदा तो देखने को मिल रहा है। एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी को पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में 5.26 अरब रुपए का लाभ हुआ था। जबकि इससे पहले वित्त वर्ष में 5.21 अरब रुपए का घाटा हुआ था। अन्य विदेशी कार कंपनियों की बात करें तो जनरल मोटर्स ने पिछले साल अपने नुकसान को कम करने के लिए भारत में कारों की बिक्री ही कम कर दी थी। जबकि फाॅक्सवोगन ने अपनी सिस्टकर कंपनी स्कोडा के भरोसे ही व्यापार किया।


डीलरशीप फाॅर्मेट में बदलाव

फोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि कंपनी छोटे डीजलरशीप फाॅर्मेट को अपनाया है जो कि साइज में छोटा हो आैर डिस्पले में कुछ ही कारें हों। इससे कंपनी को काॅस्ट कटिंग में फायदा होगा क्योंकि आमतौर पर कंपनी को एक शोरूम पर 5 से 6 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ता है। गत 18 महीनों में कंपनी ने 100 से भी अधिक एेसी शोरूम खोला है। इसके पहले घरेलू कंपनियों की तुलना में कंपनी अपने हर एक शोरूम पर करीब तीन गुना अधिक खर्च करती है।

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