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एयर इंडिया को दिवालिया होने से बचाएगा विदेशी कंपनी का निवेश, 50 हजार करोड़ का कर्ज चुकता करने का रास्ता साफ

locationनई दिल्लीPublished: Jan 28, 2018 03:39:29 pm

Submitted by:

manish ranjan

कई दौर की बैठकों और चर्चा के बाद विमानन कंपनी के विनिवेश का करीब दो दशक पुराना प्लान अंतिम रूप लेता दिखाई दे रहा है।

Air India

नई दिल्ली। देश में इस वक्त हर किसी की नजर और उम्मीदें आने वाले आम बजट 2018-2019 पर टिकी हुईं है। हर सेक्टर इस बजट से लाभ की उम्मीद लगाए बैठा है। इसी बीच ऐसी खबर आ रही जिससे लगता है कि एयर इंडिया की किस्मत बदलने वाली है। दरअसल कई दौर की बैठकों और चर्चा के बाद विमानन कंपनी के विनिवेश का करीब दो दशक पुराना प्लान अंतिम रूप लेता दिखाई दे रहा है। यह बात सिविल एविएशन मिनिस्टर अशोक गजपति राजू ने हाल ही में दिए बयानों में कही है। उनके मुताबिक आगामी बजट से एविएशन फील्ड को ‘ऋण के जाल’ से बाहर आने में मदद मिलेगी।

विदेशी कंपनी करेगी एयर इंडिया में इन्वेस्ट
असल में एक विदेशी कंपनी ने एयर इंडिया की 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए रुचि दिखाई है। यह बात एविएशन मंत्री ने एक मीडिया हाउस को दिए गए इंटरव्यू में कही है। उन्होंने बताया कि एक विदेशी कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में इस्तेमाल होने वाले एयर इंडिया के विमानों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकारा कि एयर इंडिया फिलहाल कर्ज में डूबी हुई है। राजू ने बताया कि इससे जुड़ी एक जांच में पता चला है कि कंपनी पर करीब 50 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का कर्ज है।

इंडिगो ने भी दिखाई थी कंपनी के फॉरेन ऑपरेशंस में रुचि
उन्होंने आगे बताया कि,’एयर इंडिया विनिवेश प्रक्रिया के लिए फिलहाल सिर्फ इंडिगो ने ही औपचारिक तरीके से रुचि दिखाई है। इंडिगो ने एयर इंडिया विनिवेश की घोषणा के दिन एक चिट्ठी भेजी थी, जिसमें उन्होंने फॉरिन ऑपरेशंस में रुची दिखाई थी।’ अब इसके अलावा एक और विदेशी एयरलाइन कंपनी ने भी एयर इंडिया के 49 फीसदी शेयर खरीदने की इच्छा जताई है। तो ऐसे में कंपनी के भविष्य को लेकर निश्चित रूप से काफी संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि शुरुआती जांच में एयर इंडिया पर 50 हजार करोड़ के ऋण होने का अंदाजा लगाया जा रहा है लेकिन अगर कुल ऋण 70 हजार करोड़ के पार हो जाए, तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी टीम सावधानीपूर्वक कुल कर्जे का हिसाब लगा रही है।

आने वाले वित्त वर्ष से कई उम्मीदें
उन्होंने कहा कि बार बार इस बात को संसद में उठाया गया। अब इस वित्त वर्ष में कुछ मामले सुलझ गए हैं। आने वाले वर्ष में और सुधार की उम्मीद है। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ क्षेत्रीय कंपनियां भी रीजनल एयर कनेक्टिविटी के प्रस्ताव के साथ आगे आई हैं।

 

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