बदलाव की उम्मीद नहीं – बैंकर्स
देश के कई बैंकर्स का मानना है कि पिछले कुछ समय के दौरान महंगाई बढ़ी है। ऐसे में रिजर्व बैंक नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति बनाए रखेगा। एसबीआई रिपोर्ट केअनुसार 4 अक्टूबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक नीतिगत दरों को लेकर यथास्थिति बनाए रख सकता है। क्योंकि रिजर्व बैंक लो ग्रोथ, महंगाई में नरमी और वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता जैसी गंभीर मुश्किलों को सामाना करना पड़
रहा है।
इंडस्ट्री ने की कटौती की मांग
इंडस्ट्री ने आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए दरो में कटौती करने की मांग की है। इंडस्ट्री बॉडी एसोचैम ने भारतीय रिजर्व बैंक को लिखा है कि ब्याज दरों में कम से कम 25 आधार अंक की कटौती की जानी चाहिए। अर्थव्यवस्था इस समय चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में ग्रोथ के लिए कटौती जरूरी है।
क्या कहती है मोर्गन स्टेनली की रिपोर्ट
मोर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट में कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक दरों में और कटौती नहीं करेगा। पहले से ही महंगाई में वृद्धि का रुझान है। इसके अलावा आने वाले समय में भी महंगाई बढऩे का अनुमान है। ऐसे में रिजर्व बैंक के पास दरों में कटौती की गुंजाइश बहुत कम हे। पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय ने कहा था कि आगामी सनीक्षा बैठक में दरें घटने की गुजाइश है क्योंकि खुदरा महंगाई अब भी काफी कम है।
अगस्त में घटी थी रेपो रेट
अगस्त में हुई समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.25 फीसदी तक घटा कर 6 फीसदी कर दी थी। रिजर्व बैंक ने इसके लिए महंगाई का जोखिम कम होने का हवाला दिया था। इस मीटिंग में रिजर्व बैंक ने 10 माह में रेट में पहली बार कटौती की। हालांकि अगस्त में खुदरा महंगाई बढ़ कर 3.36 फीसदी हो गई जो कि पिछले 5 महीनों में सबसे अधिक है। ऐसा सब्जियों ओर फलों की कीमतें बढऩे के कारण हुआ है। जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक कम थी।