बढ़ जाएगी मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट
आपको बता दें कि सरकार ने साल 1993 के भारतीय मानक ब्यूरो (आईएसआई) नियमों में बदलाव करके नए 2015 यूरोपियन मानक को लागू किया है। इन नए नियमों के लागू होने के बाद सभी हेलमेट की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ जाएगी और आपको हेलमेट खरीदने के लिए पहले से ज्यादा रुपए खर्च करने होंगे।
खर्च करने होंगे 5 से 10 हजार रुपए
हेलमेट मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेट्री सुभाष चंद्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि अगर सरकार इन नियमों में बदलाव नहीं करती है तो जल्द ही आने वाले समय में आपको हेलमेट खरीदने के लिए आपको 5 से 10 हजार रूपए खर्च करने होंगे।
कुछ कंपनियों तक सीमित रह जाएगा ये काम
आपको बता दें कि हेलमेट की फैक्ट्री के साथ ही एक टेस्टिंग लैब भी बनाई जाती है, जहां पर बने हुए हेलमेट की टेस्टिंग की जाती है। इस लैब पर आजकल लगभग 6 से 7 लाख रुपए का खर्च आता है, लेकिन अब इन नए नियमों के बाद इनकी टेस्टिंग पर लगभग 1 से 2 करोड़ का खर्च आएगा। इतने ज्यादा खर्च के कारण लोग आसानी से लैब नहीं लगा पाएंगे और हेलमेट मैन्युफैक्चरिंग का काम बड़े लोगों तक ही सीमित होकर रह जाएगा।
बढ़ेंगी दुर्घटना की संभावनाएं
अब आपको हेलमेट खरीदने के लिए पेट्रोल से भी ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। वहीं, दोपहिया वाहनों के लिए इतने ज्यादा महंगे हेलमेट खरीदना मुश्किल हो जाएगा, जिसका सीधा असर लोगों की सुरक्षा पर पड़ेगा औऱ दुर्घटना की संभवनाएं भी बढ़ जाएंगी।