अनुमान से कम हुर्इ है कीमतों में वृद्धि
हालांकि नेचुरल गैस की कीमतों में 10 फीसदी की ये वृद्धि अनुमान से कम है। इसके पहले नेचुरल गैस की कीमतों में 14-15 फीसदी की वृद्धि का अनुमान था। बताते चलें की हर छह माह पर सरकार नेचुरल गैस की कीमतों को रिवाइज करती है। सरकार ये कीमतें उन देशों के आधार पर तय करती है जहां नेचुरल गैस की अधिकता होती है। इन देशों में रूस, अमरीका व कानाडा हैं। 1 अक्टूबर 2018 से लागू हो चुकी ये नर्इ दर 31 मार्च 2019 तक प्रभावी रहेगा। मोदी सरकार ने अक्टूबर 2014 में गैस की कीमतों में बढ़ोतरी का ये फाॅर्मूला लागू किया था।
तेल व गैस के आयात कम करने में मिलेगी मदद
केयर रेटिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि, ‘आेएनजीसी, आॅयल इंडिया व रिलायंस इंडस्ट्रीज को नेचुरल गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से कमार्इ में फायदा हाेगा।’ उसने कहा कि नेचुरल गैस की कीमतों से होने वाल कमार्इ से इन कंपनियों के पास कर्इ तरह के अवसर होंगे। सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि इससे साल 2022 तक देश में तेल व गैस पर आयात को 10 फीसदी तक कम करने में सरकार को मदद मिलेगी। हालांकि नेचुरल गैस के दाम में इजाफे से सीएनजी व पीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी होगी जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर होगा। इस बढ़ोतरी से मुद्रास्फिति पर भी हल्का प्रभाव देखने को मिलेगा।
लगातार तीसरी बार सरकार ने किया नेचुरल गैस की कीमताें में इजाफा
रिपोर्ट में कहा गया है नेचुरल गैस की कीमतों में 9.8 फीसदी की बढ़ोतरी से थोक वस्तु दर (WPI) पर 0.05 फीसदी का असर पड़ेगा जो कि कुछ खास नहीं है। नेचुरल गैस के दाम कच्चे तेल के भाव के साथ-साथ चलते है आैर मौजूदा समय में कच्चे तेल की कीमतों में आग लगी हुर्इ है। साल 2014-17 के दौरान जब कच्चे तेल का भाव 60 बैरल प्रति डाॅलर था तब नेचुरल गैस की कीमतों में भी कटौती देखने को मिला था। अप्रैल 2015 से सितंबर 2017 के दौरान नेचुरल गैस की कीमतों में कटौती की गर्इ थी। हालांकि अक्टूबर 2017 में इसमें 16.5 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था। बीते डेढ़ साल में ये केंद्र सरकार ने लगातार तीसरी बार नेचुरल गैस की कीमतों में बढ़ोतरी किया है।