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अनिल अंबानी से 1250 करोड़ रुपये वसूलने के लिए IDBI बैंक ने खटखटाया NCLT का दरवाजा

locationनई दिल्लीPublished: Sep 08, 2018 08:11:37 am

Submitted by:

Ashutosh Verma

आईडीबीआई बैंक लिमिटेड ने 1,250 करोड़ रुपये से अधिक के लोन डिफ़ॉल्ट के मामले में रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ बैंकरप्सी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

Anil Ambani

अब अनिल अंबानी के लिए खड़ी हुर्इ एक आैर मुसीबत, 1250 करोड़ रुपये वसूलने के लिए IDBI बैंक ने खटखटाया NCLT का दरवाजा

नर्इ दिल्ली। कर्ज की बोझ से जूझ रहे अनिल अंबानी के लिए अब एक आैर बड़ी समस्या खड़ी हो गर्इ है। अब आईडीबीआई बैंक लिमिटेड ने 1,250 करोड़ रुपये से अधिक के लोन डिफ़ॉल्ट के मामले में रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ बैंकरप्सी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अनिल अंबानी द्वारा नियंत्रित रिलायंस समूह का हिस्सा रिलायंस नेवल एक निजी शिपबिल्डर है जिसके पास युद्धपोत बनाने के लिए लाइसेंस और अनुबंध हैं। बैंक ने रिलायंस नेवल के खिलाफ कंपनी के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के अहमदाबाद खंडपीठ से संपर्क किया है।


मार्च तक किया जा चुका है 5394 करोड़ रुपये का भुगतान
एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2018 तक रिलायंस नेवल के उधारदाताओं को कुल 5,349.17 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। आईडीबीआई ने अपनी याचिका में कहा, “मार्च 2018 की वैल्यूएशन रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी का शुद्ध बाजार मूल्य 1,880 करोड़ रुपये रहा।” लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार आईडीबीआई बैंक का प्रतिनिधित्व करने वाले लॉ फर्म एमडीपी और पार्टनर्स के प्रबंध भागीदार निशित ध्रुव ने याचिका दाखिल करने की पुष्टि की है। जबकि आईडीबीआई बैंक और रिलायंस नेवल ने टिप्पणी मांगने वाले ईमेल का जवाब नहीं दिया।


इस वजह से करना पड़ रहा है वित्तीय तनाव का सामना
याचिका के मुताबिक वाणिज्यिक जहाज निर्माण क्षेत्र में गिरावट के कारण रिलायंस नेवल को वित्तीय तनाव का सामना करना पड़ रहा है, निर्माण के तहत ड्राई डॉक -2 परियोजना के अनुबंधों और लागत को खत्म कर दिया गया है।रिलायंस नेवल, जिसे रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा नियंत्रित किया जाता है, को पहले रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के नाम से जाना जाता था। रिलायंस नेवल का समेकित नुकसान पिछले वित्त वर्ष में लगभग दोगुना हो गया था, जो पिछले वर्ष 77577.22 करोड़ से 1,011.97 करोड़ रुपये था। मार्च 2018 के अंत में शुद्ध बिक्री 33% गिरकर 378.48 करोड़ हो गई।

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