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जीएसटी के 100 दिनों के बाद इन सेक्टर्स मे हुआ ये असर

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7 years ago
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नई दिल्ली। देश भर में नए टैक्स सिस्टम यानि जीएसटी को लागू हुए 100 दिन हो गए हैं। इस नई टैक्स व्यवस्था के लागू होने के बाद कारोबारियों और आम लोगों में काफी बातों को लेकर जहां कंफ्यूजन की स्थिति रही तो वहीं कुछ लोगों को ये टैक्स पहले से ज्यादा सुविधाजनक लगा। सरकार भी समय-समय पर इसे सही तरीके से लागू करने की कोशिश करती रही है। हाल ही मे आए कई सर्वे रिपोर्ट की माने तो इस नए टैक्स सिस्टम के लागू होने के बाद सरकार के पूरे राजस्व में बढ़ोतरी हुआ है। ऐसे में जीएसटी के 100 दिन के बाद आइए ये जानते है कि देश के कुछ मुख्य सेक्टर्स पर जीएसटी का क्या असर पड़ा है। जीएसटी के लागू होने से इन सेक्टर्स पर कितना बुरा या अच्छा प्रभाव पड़ा है।
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ई-कॉमर्स सेक्टर ई-कॉमर्स सेक्टर पर जीएसटी की अच्छे प्रभावों की बात करें तो इस सेक्टर में लगभग मिला जुला असर रहा है। जीएसटी लागू होने से इस सेक्टर में ट्रेड बैरियर पहले से कम हुए है। अब ई-कॉमर्स पर होने वाले मुकदमें राज्य वैट नियम के तहत दायर होंगे क्योंकि सामानों को सप्लाई करने वाले एजेंट को इससे राहत मिल गई है। यदि लंबे अवधि की बात करें तो क्रेडिट के अधिकतर इस्तेमाल से जीएसटी से उम्मीद है कि सर्विस पर लगने वाले ओवरऑल कॉस्ट को काफी कम कर देगा। वहीं इस सेक्टर में जीएसटी से हुए नुकसान के बारें मे बात करें तो, ई-कॉमर्स वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन का कोई दबाव नहीं है क्योंकि छोटे व्यापरियों को इसको अपनाने में अभी कई बाधाओं को सामना करना पड़ रहा है। ई-कॉमर्स व्यापारियों को जीएसटी के अंतर्गत छोटे व्यापारियों के लिए लागू कम्पोजिशन स्कीम का भी फायदा नहीं उठा सकते हैं।
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रेस्टोरेंट रेस्टोरेंट पर 12 से 18 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है। वहीं होटलों पर 0 से 28 फीसदी का। इसके पहले हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री में कई तरह के टैक्स की व्यवस्था थी लेकिन जीएसटी के बाद अब ये खत्म हो गया है। राज्य स्तर पर लगने वाले कुछ विशेष टैक्स से इस इंडस्ट्री को बड़ी राहत मिली है। लेकिन अलग-अलग होटलों पर लगने वाला टैक्स सिस्टम होटलों के टैरिफ पर निर्भर करता है और इससे इनके मार्केटिंग और प्रमोशनल स्किम मे कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। राज्य स्तर पर भी रजिस्ट्रेशन से इस सेक्टर को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही शराब जैसे पेय पदार्थों पर जीएसटी नहीं लगने से इनपर एक और टैक्स और डॉक्यूमेंंट्स को बोझ बढ़ गया है।
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एफएमसीजी सेक्टर एफएपसीजी सेक्टर पर 0 से 28 फीसदी टैक्स का प्रावधान है। इसमें लगने वाले अधिकतर प्रोडक्ट्स पर पहले के अपेक्षा टैक्स मे कुछ ज्यादा बदलाव नहीं आया है, इससे लोगों को राहत मिला है। दूसरे सेक्टर्स की तरह इस सेक्टर में इनपुट क्रेडिट से कारोबारियों को लाभ मिल रहा है। वहीं इस सेक्टर में नुकसान ये हुआ है कि , इनमें से कई कंपनियों ने हिमांचल प्रदेश, उत्तरांचल जैसे राज्यों में अपना वेयरहाउस खोल रखा है जहां जीएसटी से अभी छूट है। लेकिन सरकार ने मंशा जाहिर कर दी है कि, टैक्स से मिलने वाली छूट को रिफन्ड स्किम मे बदल दिया जाए। इससे कई कंपनियों ने अपने वेयरहाउस को एक समेकित करने का फैसला ले लिया है। इससे सप्लाई चेन मैनेजमेंट पर फिर से ठीक करने की जरूरत हो गई है।
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टै्रवल और एविएशन सेक्टर इस सेक्टर में 5 से 12 फीसदी टैक्स का प्रावधान हैं। इकोनॉमी क्लास के टिकट पर लगने वाला टैक्स कम हो गया है। के्रडिट फ्लो के वजह से एविएशन इंडस्ट्री में भी कीमतों मे कमी आई है। वहीं बिजनेस क्लास के टिकटों के दामों मे बढ़ोतरी हुई है। जेट फ्यूल पर जीएसटी नहीं लगने से किरायों की कीमतों मे बढ़ोतरी हो गई है।
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रियल एस्टेट रियल एस्टेट सेक्टर मेंं 12 से 18 फीसदी का टैक्स व्यवस्था है। वर्क कंट्रैक्ट ट्रांजैक्शन और सेवाओं मे केवल एक टैक्स लगने से पारदर्शिता आई है। स्टैम्प ड्यूटी के जीएसटी से बाहर होने से टैक्स स्ट्रक्चर और उलझ गया है। अलग-अलग सामानों पर इनपुट टैक्स से प्रॉपर्टी की कीमतों मे इजाफा हुआ है।
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टेक्सटाइल टेक्सटाइल सेक्टर मे 5 से 18 फीसदी का टैक्स हो गया है जो कि पहले 2 से 18 फीसदी था। लोकल टैक्स हट जाने से मैन्यफैक्चरिंग कॉस्ट में कमी आई है। स्पििनिंग और पावरलूम सेक्टर को इससे फायदा पहुंचा है। लेकिन रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म चार्ज लगने से इसे सेक्टर को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
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ऑटोमोबाइल सेक्टर इस सेक्टर में 29 से 50 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है। ऑटोमोबाइल सेस, इंफ्रा सेस, मोटर व्हीकल सेस के हट जाने से ओवरऑल टैक्स में कमी आई है। साथ ही इसे ेसेक्टर का प्रोडक्शन कॉस्ट भी कम हुआ है। जीएसटी लागू होने से इसे सेक्टर को वर्किंग कैपिटल ब्लॉकेज से जूझना पड़ रहा है। पहले प्रोमोशनल स्कीम पर कोई टैक्स नहीं लगता था लेनिक अब इसे स्पेशल प्रोविजन के तहत इवैल्यूएट किया जाता है।
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