सरकार के कदम से मिलों पर बढ़ेगा बोझ उद्योग संगठन ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले जून में मिलों पर किसानों का बकाया करीब 14,000-15,000 रुपए ज्यादा है, इसलिए 10 फीसदी रिकवरी दर पर सरकार की ओर से एफआरपी 275 रुपए तय करने से मिलों पर और बोझ पड़ेगा। इस्मा ने कहा कि सरकार जब तक कोई ठोस उपाय नहीं करेगी तब तक किसानों को गन्ने के दाम का भुगतान करना मिलों के लिए मुश्किल होगा। उद्योग संगठन ने कहा कि सरकार को ऐसा उपाय करना चाहिए ताकि चीनी का एक्स मिल रेट कम से कम 35 रुपए प्रतिकिलो हो।
किसानों को भुगतान के लिए चीनी निर्यात बढ़ाने की जरूरत इस्मा ने कहा कि मिलों के पास नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए 60 से 70 लाख टन चीनी निर्यात करने के उपाय करने की जरूरत है। उद्योग संगठन के अनुसार अगले सीजन में चीनी का उत्पादन 350-355 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि सालाना घरेलू खपत महज 255 लाख टन है। इस्मा ने कहा कि अगले साल मिलों को गन्ने की कीमतों के रूप में 97,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा, जोकि मिलों के लिए मुश्किल होगा।