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जारी किए गए हैं नए लाइसेंस
इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार अमरीका सहित स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, पाकिस्तान, नेपाल जैसे कई देशों से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग है। इस डिमांड को पूरा करने के लिए भारत पूरी तरह से सक्षम है। कई कंपनियों की ओर से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के प्रोडक्शन को बढ़ा दिया है। जानकारों की मानें तो मौजूदा समय में भारत में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का 10 टन प्रोडक्शन होता है। जिसके मई के अंत तक 70 टन तक पहुंचने के आसार दिखाई दे रहे हैं। जानकारी के अनुसार में गुजरात में गुजरात में इस दवा को बनाने के लिए 68 नए लाइसेंस जारी हुए हैं।
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ट्रंप की ओर से की गई थी अपील
अभी तक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना से इलाज के लिए सबसे कारगर दवा माना गया है। इंडिया में इस दवा से मलेलिया का इलाज होता है। कोरोना वायरस के भारत में फैलने के बाद सरकार ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासीटामॉल के निर्यात पर बैन लगा दिया था। लेकिन बाद में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की डिमांड बढऩे के बाद अमरीकी राष्ट्रपति ने दवा से निर्यात बैन हटाने की मांग की थी। जिसके बाद भारत सरकार ने अमरीका के लिए इन दोनों दवाओं के रास्ते खोल दिए थे।