scriptआगामी लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है जेट एयरवेज मामला, जानिए कैसे | JeT Airways crisis may cast shadow on upcoming loksabha election | Patrika News

आगामी लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है जेट एयरवेज मामला, जानिए कैसे

locationनई दिल्लीPublished: Jan 22, 2019 04:41:11 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

जेट एयरवेज मामले के बाद करीब 23,000 नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। एेसे में नौकारियों पर यह खतरा आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है।

Jet Airways

आगामी लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है जेट एयरवेज मामला, जानिए कैसे

नर्इ दिल्ली। करीब 5 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी लाखों लोगों को नौकरियां मुहैया कराने के वादे से सत्ता में आए थे। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे देश की एक दिग्गज विमान कंपनी सरकार के लिए परेशानियां खड़ी करती हुर्इ नजर आ रही है। दरअसल, विमान कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा की मार से जूझ रही जेट एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही है। वर्तमान में, देश की दूसरी सबसे बड़ी विमान कंपनी पर करीब 1.1 अरब डाॅलर का कर्ज है। कंपनी अपने न तो उधारकर्ताआें को कर्ज चुका पा रही है आैर न हीं कर्मचारियों को सैलरी दे पा रही है। एेसे में इस दिग्गज विमान कंपने के करीब 23,000 कर्मचारियों पर नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है। इन सबको देखते हुए अब पीएम माेदी की अगुवार्इ वाली एनडीए सरकार पर इस संकट की आंच पड़ सकती है।


इस वजह से जेट एयरवेज की हुर्इ बुरी हालत

हालांकि, जेट एयरवेज की इस बुरी हालत के लिए न तो पीएम मोदी की सरकार जिम्मेदार है आैर न ही उनकी नीतियां। दरअसल, र्इंधन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी आैर विमान कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा की वजह से कंपनी की इतनी बुरी हालत हुर्इ है। जेट एयरवेज की इस हालत के बाद अब विपक्षी दलों को मोदी सरकार के खिलाफ एक मुद्दा मिलते हुए दिखार्इ दे रहा है। कर्इ विपक्षी दल तो सरकार को इस बात पर घेरना चाहते हैं कि करीब 2.6 खरब डाॅलर की भारतीय अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री की अगुवार्इ में लुढ़कता जा रहा है।


आगामी लोकसभा चुनाव में नौकरियां बड़ा मुद्दा

कांग्रेस के प्रवक्ता मनिष तिवारी ने कहा, “चुनावी कैंपेन के दौरान नौकरियां सबसे प्रमुख मुद्दों में से एक होगा। अर्थव्यवस्था में बड़े स्तर पर कुप्रबंधन रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि यह कोर्इ चौंकाने वाली बात नहीं है कि एविएशन सेक्टर भी इसका शिकार हुआ है। कर्इ दिग्गज विमान कंपनियां पहले अच्छा काम कर रहीं थी। जबकि, सत्ताधारी पार्टी का कहना है जेट एयरवेज की संकट को सरकार से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। भाजपा के प्रवक्ता गोपल कृष्ण अग्रवाल का कहना है कि यदि काॅर्पोरेट फेल होता है तो इसके लिए आप सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं। इसके बावजूद भी यदि सरकार को जेट एयरवेज मामले में दखल देने की जरूरत महसूस होगी तो सरकार जरूर एेसा करेगी।


किंगफिशर जैसी ही हो रही है जेट एयरवेज का हाल

इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले साल नवंबर माह में जेट एयरवेज संकट का खुलास हुआ था तो मोदी सरकार ने टाटा समूह से मदद की आग्रह की थी। एक तरफ मोदी सरकार का नजरिया है कि उसे प्राइवेट बिजनेस में दखल नहीं देगी लेकिन इतिहास कुछ आैर ही बयां कर रहा है। हाल ही में हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड लीजिंग फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) संकट में सरकार को दखल देना पड़ा था। जेट एयरवेज की मौजूदा कहानी किंगफिशर एयरलाइंस की बर्बादी की भी याद दिलाती है। साल 2011 में, लोन पेमेंट समेत कर्इ अन्य संकट की वजह से किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गया था। अब करीब 8 साल बाद एक बार फिर सरकारी बैंकों एनपीए की मार से बुरी तरह से जूझ रहे हैं। पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस छोड़ दें तो जेट एयरवेज को सभी एशियार्इ विमान कंपनियों में सबसे अधिक घाटा हुआ है। देश की सबसे बड़ी उधारकर्ता भारतीय स्टेट बैंक बेलआउट डील में सबसे आगे है। एसबीआर्इ की अगुवार्इ में सभी उधारकर्तआे ने एतिहाद एयरवेज आैर नरेश गोयल की कंपनी से 35 अरब रुपए मांगा है।


कंपनी की कमान भारतीय हाथों में चाहेगी सरकार

अब जेट एयरवेज मामले में सरकार के लिए दखल इसलिए भी जरूरी हो गया है कि हजारों लोगों की नौकरियां खतरे में है। चूंकिं, आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव है, एेसे में यह मामला आैर भी महत्वपूर्ण हो गया है। सरकार इस पूरे मामले से अवगत तो है लेकिन इसको लेकर अभी तक सरकार से आैपचारिक तौर पर बात नहीं किया गया है। पिछले सप्ताह ही मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि जेट एयरवेज के रिस्ट्रक्चरिंग प्लान के तहत कंपनी बोर्ड में भी बदलाव हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि सरकार जरूर यह सुनिश्चित करना चाहेगी कि कंपनी की कमान किसी भारतीय के हाथों ही रहे। नियमों के मुताबिक कोर्इ भी विदेशी विमान कंपनी घरेलू कंपनी में 49 फीसदी से अधिक का स्वामित्व नहीं रख सकती है।

Read the Latest Business News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले Business News in Hindi की ताज़ा खबरें हिंदी में पत्रिका पर।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो