साथ ही वे बकाया वेतन के जल्द से जल्द भुगतान की भी माँग कर रहे हैं। यदि कंपनी बंद होती है तो 20 हजार लोगों की नौकरी चली जायेगी। कर्मचारी इससे पहले मुंबई में भी इसी तरह का प्रदर्शन कर चुके हैं जहां कंपनी का मुख्यालय है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कैलेंडर वर्ष में 4,244 करोड़ रुपये का नुकसान उठा चुकी कंपनी ने जनवरी से पायलटों, रखरखाव अभियंताओं और प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारियों को वेतन नहीं दिया है। अन्य कर्मचारियों को आंशिक वेतन दिया जा रहा था, लेकिन उन्हें भी मार्च का वेतन अब तक नहीं मिला है।
कंपनी विमानों का किराया चुकाने में विफल रही है और उसे ऋण देने वाले आठ बैंकों के कंसोर्टियम ने एयरलाइंस की 75 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है। कभी देश की दूसरी सबसे बड़ी विमान सेवा कंपनी रही जेट एयरवेज के इस समय 10 से भी कम विमान परिचालन में रह गये हैं। उसकी सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें रद्द हैं और वह 35 से भी कम घरेलू उड़ानें भरने में सक्षम है।