क्यों अहम है ये डील ?
यह डील आरकॉम और जियो दोनों के लिए ही अहम है। यह स्पेक्ट्रम न मिला तो मुंबई, गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बिहार, ओडिशा, असम और पूर्वोत्तर जैसे अहम बाजारों में जियो की 4जी एलटीई कवरेज की क्वॉलिटी प्रभावित हो सकती है। इन सर्कल्स में आरकॉम की एयरवेव्स का एक्सेस न मिलने पर इस 4जी बैंड में जियो की स्टैंडअलोन होल्डिंग्स एक तरह से दोनों कंपनियों की कंबाइंड होल्डिंग्स की आधी रह जाएगी।
दूरसंचार विभाग ने मंजूरी देने से किया मना
बता दें स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग अग्रीमेंट पर साल 2017 में ही दस्तखत हो गए थे। इसे मंजूरी मिलने पर आरकॉम 4जी एयरवेव्स की 112.4 यूनिट्स जियो को बेच सकती है। इसमें 800 मेगाहर्ट्ज बैंड एलटीई स्पेक्ट्रम शामिल है जिसे आरकॉम ने सिस्टेमा श्याम टेलिसर्विसेज से खरीदा था। इसका वैलिडिटी पीरियड ज्यादा है। आरकॉम पर 46000 करोड़ रुपये का कर्ज है। यह स्पेक्ट्रम बेचने से आरकॉम को 18000 करोड़ रुपए का कर्ज कम करने में मदद मिलेगी। पिछले सप्ताह दूरसंचार विभाग ने आरकॉम-जियो स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग डील को मंजूरी देने से मना कर दिया था। विभाग ने कहा था कि यह डील सरकारी नियमों के अनुरूप नहीं है।
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