ये है पूरा मामला
दरअसल ये मामला 2004 से 2010 के बीच कंपनी के हिप इंप्लांट से उपकरणों से जुड़ा है। कंपनी के मुताबिक भारत में 2006 से लेकर इन उपकरणों के तहत 4,700 सर्जरी हुई थी, जिसमें 2014 से लेकर 2017 के बीच 121 गंभीर मामले सामने आए थे। भारत में कंपनी के गलत हिप इंप्लांट सिस्टम की वजह से लगभग 3600 मरीज प्रभावित हुए हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई मरीजों पर इन प्रोडक्ट्स का काफी बुरा प्रभाव पड़ा था।
सरकार ने तैयार किया था मुआवजे का फॉर्मूला
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा है कि इस मुआवजे के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताया जाए, ताकि जितने भी मरीज हिप इंप्लांट की प्रक्रिया में प्रभावित हुए हैं, उन सबको मुआवजा मिल सके। हिप इंप्लांट में उपयोग होने वाले खराब उपकणों की वजह से करीब 14 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे। सरकार ने इस मामले में गठित एक समिति के आधार पर मुआवजे का फॉर्मूला तैयार किया था।
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