वित्त मंत्रालय में बैठक के बाद एलआर्इसी चेयरमैन ने दिया बयान
वित्त मंत्रालय में एक बैठक के बाद एलआर्इसी चेयरमैन वी के शर्मा ने मंगलवार काे आश्वासन दिया कि कंपनी के लिए जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं। वी के शर्मा ने आगे कहा कि, “हम ये सुनिश्चित करेंगे की IL&FS धराशायी न हो। कंपनी में एलआर्इसी की स्टेक बढ़ाने समेत हमारे पास सभी विकल्प मौजूद हैं।”
सरकार के अधीन नहीं है IL&FS
गौरतलब है कि IL&FS फिलहाल तरलता की कमी से जूझ रही है। पिछले माह ही कंपनी में sidbi से लिए 1000 करोड़ रुपए कर्ज के घोटाले का मामला सामने आया था। 14 सितंबर को कंपनी के 105 करोड़ रुपए का एक आैर घोटाला सामने आया था। इसी दौरान वित्त मंत्रालय ने भी ये बात साफ कर दिया है कि IL&FS सरकार के अधीन नहीं है आैर उसे इस मामले को सुलझाने के लिए जरूरी कदम उठानने होंगे। हालांकि सीधे तौर पर सरकार की इस कंपनी में कोर्इ भागीदारी नहीं है लेकिन एलआर्इसी, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआर्इ) समेत सरकारी कंपनियों की इसमें भागीदारी है।
आर्थिक सचिव ने कहा- कंपनी खुद निकाले हल
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि IL&FS सरकार के अधीन नहीं है आैर कंपनी का अपना स्वतंत्र बोर्ड है। एेसे में कंपनी को इस मामले का हल खुद ही ढूंढना होग आैर हमें लगता है कि वो इसमें सक्षम है। गर्ग ने आगे कहा कि, कंपनी के पास संपत्ति है, लायबिलिटी भी है। इसमें सरकार सीधे तौर पर नहीं जुड़ी है।
इनकी है IL&FS में साझेदारी
बताते चलें कि IL&FS में सरकारी जीवन बीमा कंपनी एलआर्इसी लगभग एक चौथार्इ हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ी हिस्सेदार है। वहीं जापान की आेरिक्स काॅर्पोरेशन की 23.5 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी के दूसरे शेयरधारकों में अबु धाबी की एक इन्वेस्टमेंट अथाॅरिटी की 12.5 फीसदी हिस्सेदारी है। इसमें IL&FS कर्मचारी वेलफेयर ट्रस्ट का 12 फीसदी, एचडीएफसी का 9.02 फीसदी, सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया 7.67 फीसदी आैर एसबीआर्इ का 6.42 फीसदी की हिस्सेदारी है। कंपनी ने अपने कर्मचारियों काे एक पत्र लिखकर कहा था कि अगर कंपनी ने कंसेशन अथाॅरिटी के पास फंसे 16,000 करोड़ रुपए के फंड का समय से मिल जाता तो उसे ये परेशानी नहीं होती।