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ट्रक हड़ताल का तीसरा दिन: सब्जियों की किल्लत शुरू, आसमान छूने लगे दाम

locationनई दिल्लीPublished: Jul 22, 2018 03:21:49 pm

Submitted by:

Manoj Kumar

तीन दिनों से ट्रक नहीं चलने के कारण आवश्यक सामान की आपूर्ति पर असर पड़ने लगा है। इस कारण अब सब्जी, दूध जैसी वस्तुओं की कीमतों में तेजी आने लगी है।

Truck Bus Strike

ट्रक हड़ताल का तीसरा दिन: सब्जियों की किल्लत शुरू, आसमान छूने लगे दाम

नई दिल्ली। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 20 जुलाई से हड़ताल पर गए ट्रक-बस ऑपरेटरों की हड़ताल रविवार को तीसरे दिन भी जारी है। अब हड़ताल का असर आम जनता पर पड़ने लगा है। तीन दिनों से ट्रक नहीं चलने के कारण आवश्यक सामान की आपूर्ति पर असर पड़ने लगा है। इस कारण अब सब्जी, दूध जैसी वस्तुओं की कीमतों में तेजी आने लगी है। पूरे देश में सब्जी की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। दिल्ली की प्रमुख सब्जी मंडियों आजादपुर, केशोपुर और गाजीपुर सब्जी मंडी में सब्जी और फलों की आवक न होने से व्यापारी खाली बैठे हैं। इसके अलावा देश के लगभग सभी बड़े शहरों में सब्जी की आवक न होने से कीमतें बढ़ गई हैं। हालांकि रविवार होने के कारण बस के हड़ताल पर रहने से कोई ज्यादा असर नहीं दिखी।
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हर रोज करीब 2000 करोड़ रुपए का नुकसान

ट्रक आैर बस आॅपरेटर्स के संगठन अाॅल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) के आह्वान पर 21 जुलाई 2018 से बुलाई गई इस अनिश्चितकालीन हड़ताल से हर रोज करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार निर्यात और जरूरी सामान के उठान नहीं होने से हर रोज करीब 2000 करोड़ रुपए के नुकसान हो रहा है। इस हड़ताल में करीब 90 लाख ट्रक ऑपरेटर और 50 लाख प्राइवेट बस ऑपरेटर शामिल हैं। उधर उद्योगों से जुड़े संगठन एसोचैम ने ट्रक-बसों की हड़ताल को लेकर चेतावनी दी है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा। एसोचैम का अनुमान है कि इस हड़ताल की वजह से इकोनॉमी को 20 से 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। एसोचैम ने सरकार से जल्द से जल्द इस हड़ताल को खत्म कराने की अपील की है।
ये हैं ट्रक-बस ऑपरेटरों की प्रमुख मांगें

– डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इसके अलावा सभी राज्यों में डीजल की दरें एक समान की जाएं।

– टोल कलेक्शन सिस्टम को बदला जाए। टोल के मौजूद सिस्टम से टोल प्लाजा पर ईंधन और समय का नुकसान होता है। इससे ट्रक ऑपरेटरों को हर साल 1.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होता है।
– थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम से जीएसटी को हटाया जाए। साथ ही इससे एजेंट को मिलने वाले अतिरिक्त कमीशन को भी खत्म किया जाए।

– इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44AE में प्रिजेंप्टिव इनकम के तहत लगने वाले टीडीएस को बंद किया जाए।
– ट्रक ऑपरेटरों को राहत देने के लिए ई-वे बिल में बदलाव किया जाए।

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