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10 लाख करोड़ का नुकसान और 20 लाख नौकरी पर खतरा, कुछ ऐसा हुआ Tourism और Hospitality का हाल

फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी ने की Niti Aayog से मुलाकात
संगठन ने नीति आयोग से की Covid-19 Tourism Fund के लिए 50,000 करोड़ रुपए की डिमांड की

May 06, 2020 / 10:00 am

Saurabh Sharma

Tourism and Hospitality industry

Loss of 10 lakh cr, threat of 20 lakh job in tourism and hospitality

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ( Central Govt ) द्वारा आर्थिक गतिविधियों के लिए कोरोना वायरस लॉकडाउन 3 ( Coronavirus Lockdown 3 ) कुछ छूट तो दी है, लेकिन टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री ( Tourism and Hospitality Industry ) अभी भी अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं। इस सेक्टर को सरकार से राहत का इंतजार है। करीब दो महीने से रेस्तरां और होटलों का काम ठप पड़ा हुआ है और इस संकट के समय में उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि राजस्व नहीं होने के मद्देनजर यह समय की मांग है कि सरकार कर्मचारियों के वेतन और अन्य चीजों में छूट प्रदान करे। सेक्टर को 10 लाख करोड़ रुपए के नुकसान और 30 लाख नौकरी जाने का खतरा दिखाई दे रहा है।

हो सकता है 10 लाख करोड़ का नुकसान
फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी (फैथ) ने इंडियन टूरिज्म के लिए वैल्यू इन रिस्क (वीएआर) 10 लाख करोड़ रुपये आंकी है, जो उसके पिछले अनुमान से दोगुना है। वीएआर एक ऐसा आंकड़ा है, जो एक निश्चत समय सीमा में किसी फर्म के अंदर वित्तीय जोखिम के स्तर को मापता है। महासंघ के एक बयान में कहा गया है कि फैथ या एफएआईटीएच का मानना है कि जोखिम का यह मूल्य 10 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है, क्योंकि भारत में इसके सभी प्रमुख आवक, घरेलू और आउटबाउंड बाजारों में पर्यटन आपूर्ति श्रंखला बेहद खराब स्थिति में है।

फैथ ने की 50 हजार करोड़ की डिमांड
फैथ ने नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के नेतृत्व वाले अधिकार प्राप्त समूह-6 को कोविड-19 पर्यटन कोष के लिए न्यूनतम 50,000 करोड़ रुपए के कोष का अनुरोध किया है। इस कोष का उपयोग भारत में पर्यटन उद्यमों द्वारा 10-वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में किया जा सकता है, जो कि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को राहत देने के लिए मांगा गया है। इसके साथ ही इसने सभी बैंकिंग ऋणों, भविष्य निधि (पीएफ), ईएसआई, आयकर, जीएसटी, फिक्स्ड पावर और यूटिलिटीज टैरिफ, प्रॉपर्टी टैक्स सहित सभी बैंकिंग ऋणों और केंद्रीय व राज्य वैधानिक देनदारियों की 12 महीने की पूर्ण छूट मांगी है। इसके साथ ही उत्पाद शुल्क, अंतर-राज्य पर्यटक परिवहन कर और लाइसेंस शुल्क में भी बिना किसी दंड के राहत की मांग की गई है।

नीति आयोग के साथ हुई बैठक
होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) के उपाध्यक्ष केबी कचरू ने कहा कि सोमवार को नीति आयोग के साथ बैठक में इस क्षेत्र के अस्तित्व और पुनरुद्धार दोनों के बारे में चर्चा हुई है। कचरू ने कहा, बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि इस स्तर पर हमें अपने आपको बचाए रखने की प्रक्रिया पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है और साथ ही साथ अधिस्थगन देनदारियों के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने और लाइसेंस व अन्य संबंधित शुल्क निलंबित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन बिजली शुल्क के बारे में राज्य सरकारों के साथ अलग से बातचीत कर रही है और कुछ राज्य प्रस्ताव पर विचार भी कर रहे हैं। कचरू ने कहा कि अगर उद्योग को तत्काल समर्थन नहीं मिलता है तो इस संकट के समय में इस क्षेत्र में लगभग चार करोड़ कर्मचारी नौकरी खो देंगे। आतिथ्य क्षेत्र की तरह ही खाद्य एवं पेय पदार्थ (एफ एंड बी) उद्योग भी सरकारी समर्थन के लिए इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि महज कुछ होम-डिलीवरी के ऑर्डर को छोड़कर पिछले दो महीनों से कोई डिलीवरी नहीं हो रही है।

20 लाख नौकरियों पर खतरा
नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अनुराग कटियार ने कहा कि राष्ट्रव्यापी बंद के बाद गुजरते हर दिन के साथ रेस्तरां क्षेत्र की मुश्किलें बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि बंद समाप्त होने के बाद अगर सरकार की ओर से उन्हें कोई सहायता नहीं मिलती है तो रेस्तरां क्षेत्र को अपने पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा, अगर हमें अभी कुछ राहत नहीं मिलती है, तो हम गुजारा करने की स्थिति में नहीं होंगे। कटियार ने बताया कि क्षेत्र में कुल 20 लाख से अधिक यानी 30 प्रतिशत कर्मचारियों की नौकरी जाने की संभावना है। उद्योग निकाय प्रमुख ने कहा कि सरकार को कम दरों पर कार्यशील पूंजी ऋण के अलावा कर्मचारियों के लिए वेतन के मामले में उनका समर्थन करना चाहिए।

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