सेबी के इस फैसले से उद्योग जगत में होगा बड़ा बदलाव, अंबानी समेत कई घराने होंगे प्रभावित
सेबी के नए नियम के लागू होने के बाद कई भारतीय उद्योगपतियों को चेयरमैन या एमडी में से एक पद छोड़ना पड़ेगा।

नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के एक नए नियम से भारतीय उद्योग जगत में बड़ा बदलाव होने वाला है। दरअसल, बुधवार को मुंबई में सेबी की निदेशक बोर्ड की बैठक हुई। इस बैठक में सेबी में लिस्टेड कंपनियों में सीएमडी पद पर एक ही व्यक्ति की नियुक्ति नहीं करने संबंधी सिफारिश पर मुहर लग गई। इस नए नियम के लागू होने के बाद इन कंपनियों को चेयरमैन और एमडी अलग-अलग नियुक्त करने होंगे। सेबी के इस नए नियम से करीब साढ़े छह सौ कंपनियां प्रभावित होंगी। इस नियम के लागू होने के साथ ही रिलायंस के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी को भी इनमें से एक पद छोड़ना पड़ेगा। हालांकि यह नियम एक अप्रैल 2020 से लागू होगा।
सेबी ने क्यों लिया यह फैसला
सेबी ने चेयरमैन और एमडी पद पर अलग-अलग व्यक्तियों की नियुक्ति का कड़ा फैसला कोटक कमेटी की सिफारिशों के बाद लिया है। दरअसल सेबी को सौंपी अपनी सिफारिशों में कोटक कमेटी ने कहा है कि चेयरमैन और एमडी अलग-अलग होने से सारे अधिकार एक व्यक्ति के पास नहीं रहेंगे। ऐसा करने से कंपनियों के परिचालन में सुधार आएगा। कोटक कमेटी की सिफारिशों के अनुसार भारतीय उद्योगपतियों का मानना है कि चेयरमैप या एमडी पद छोडऩे से उनका नियंत्रण समाप्त हो जाएगा।
इन कंपनियों पर पड़ेगा असर
सेबी के इस फैसले का कई भारतीय उद्योगपतियों पर पड़ेगा। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी, रिलायंस धीरू भाई अंबानी ग्रुप के अनिल अंबानी, विप्रो के अजीम प्रेमजी, भारती एयरटेल के सुनील मित्तल, फ्यूचर ग्रुप के किशोर बियानी, बिरला ग्रुप के कुमार मंगलम बिड़ला समेत कई प्रमुख उद्योगपति शामिल हैं।
सेबी की बैठक में लिए गए अन्य फैसले
1- सेबी में लिस्टेड कंपनियों में अब स्वतंत्र निदेशकों की हिस्सेदारी 10 फीसदी के बजाए आठ फीसदी होगी।
2- एक अप्रैल 2020 से लिस्टेड कंपनियों में अधिकतम 7 निदेशक ही होंगे।
3- सेबी में लिस्टेड कंपनियों को अपने निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला निदेशक शामिल करनी होगी। एक अप्रैल 2019 तक करनी होगी महिला निदेशक की नियुक्ति।
4- दिवालिया हो चुकी कंपनियां एक्सचेंज के नियमों का पालन नहीं करेंगी तो उनके प्रमोटर्स की शेयरहोल्डिंग सीज की जाएगी।
5- बाजार में लिस्टेड कंपनियों को अपने ऑडिटर की योग्यता और उसकी फीस के बारे में सेबी को बताना होगा।
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