ट्राई ने मांगा सुझाव
आपको बता दें कि ट्राई ने परामर्शपत्र जारी कर सभी कंपनियों से इस पर सुझाव मांगा है। आजकल मोबाइल पोर्ट कराने के लिए चार रुपए शुल्क जाता है, जिसको सरकार बदलने पर विचार कर रही है। पोर्ट शुल्क का भुगतान नये सेवा प्रदाता पुराने सेवा प्रदाता को करते हैं। इसके साथ ही ट्राई ने यह भी सुझाव मांगा है कि पोर्ट के निवेदन को शुल्क के लिए लेन-देन माना जाए या सफल पोर्ट प्रक्रिया को यह दर्जा दिया जाए।
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पहले बंद होने की खबरें आ रही थीं
इसके साथ ही पिछले कुछ दिनों से खबरें आ रही थी कि ट्राई की तरफ से एमएनपी को बंद किया जा सकता है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि ट्राई की तरफ से एमएनपी को 31 मार्च 2019 के बाद बंद कर दिया जाएगा, हालांकि अभी इन रिपोर्टस को गलत साबित कर दिया गया है। फिलहाल ट्राई की ओर से ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
नियमों को किया आसान
आपको बता दें कि ट्राई ने दिसंबर 2018 में ही पोर्टेबिलिटी नियमों को आसान बनाया है। अब रिक्वेस्ट जेनरेट करने के महज दो दिन में मोबाइल नंबर पोर्ट किया जा सकता है। अभी तक इसकी अवधि एक हफ्ते से ज्यादा की है।
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कंपनियों को हो रहा घाटा
पहले सरकार मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी पर 19 रुपए चार्ज करती थी, लेकिन अब इसको घटाकर 4 रुपए कर दिया गया है। ट्राई के रुपए घटाने से कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इन कंपनियों की आय का स्रोत सिर्फ यही चार्ज है। वहीं, जब से रिलायंस ने टेलीकॉम इंडस्ट्री में कदम रखा है तक से ही आधार पर एमएनपी की रिक्वेस्ट में चार गुना बढ़ोतरी हुई है।
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