कंपनियों को हो रहा नुकसान
इस समय एमटीएनएल ( MTNL ) और भारत संचार निगम लिमिटेड ( bsnl ) को लगातार घाटा हो रहा है और हाल के समय में उन्हें अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने में भी दिक्कतें आयी हैं। एक सूत्र ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार कंपनियों के विलय के बारे में विचार कर रही है। कंपनियों के विलय का मुख्य कारण कंपनियों को लगातार हो रहा घाटा है। इस समय बीएसएनएल के हालात ऐसे नहीं कि वह अपने दम पर बाजार में अस्तित्व में बनी रही, लेकिन इस पर अंतिम फैसला मंत्रिमंडल को करना है।
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विलय पर विचार कर रही कंपनी
बता दें कि कंपनी इस समय एमटीएनएल और बीएसएनएल के विलय के बारे में विचार कर रही है। फिलहाल इस समय एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में टेलीफोनी सेवाएं देती है, जबकि शेष सर्किलों में बीएसएनएल सेवाएं देती है। दूरसंचार विभाग इन कंपनियों के ‘बचाव’ के लिए पुनरोद्धार पैकेज पर काम कर रहा है। इसमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस), संपत्ति का मौद्रिकरण और 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन जैसे विकल्प हैं।
BSNL को हुआ करोड़ों का घाटा
संसद में दी गई सूचना के अनुसार बीएसएनएल का घाटा 2018-19 में बढ़कर 14,202 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। आलोच्य वित्त वर्ष में कंपनी का राजस्व 19,308 करोड़ रुपये रहा। बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या 1,65,179 है। कंपनी की कुल आमदनी में से कर्मचारियों के वेतन भुगतान की लागत 75 प्रतिशत बैठती है। वहीं निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के कर्मचारियों की संख्या 20,000 है और कर्मचारियों की लागत कंपनी की आय का मात्र 2.95 प्रतिशत है।
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MTNL को हो रहा नुकसान
बता दें कि वोडाफोन के कर्मचारियों की संख्या 9,883 है और कर्मचारियों की लागत उसकी आय का 5.59 प्रतिशत बैठती है। एक अप्रैल, 2019 को बीएसएनएल का नेटवर्थ 34,276 करोड़ रुपये था। वहीं एमटीएनएल के नेटवर्क को 9,735 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले महीने लोकसभा में कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है और उनके पुनरोद्धार को एक व्यापक योजना बनाई जा रही है।
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