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पौराणिक विज्ञान की काल्पनिक कथाओं का तेजी से बढ़ रहा है बाजार

locationनई दिल्लीPublished: Oct 15, 2019 02:54:48 pm

Submitted by:

manish ranjan

पौराणिक कथाओं की बढ़ रही है मांग
बाजार में तेजी से बढ रही डिमांड

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नई दिल्ली। प्रारंभिक मानव जाति आज से करीब 20 लाख साल पहले 2050 ईस्वी में अस्तित्व में आई थी। उसी समय पृथ्वी का प्रारंभिक स्वरूप भी बना था। हम जानते हैं कि प्रारंभिक मानवजाति के साथ पूर्ववर्ती पृथ्वी का अस्तित्व भी समय के साथ नष्ट हो गया। अब मनुष्यों की नई नस्ल इस समय पृथ्वी पर निवास करती है। पूर्ववर्ती पृथ्वी माधवपर और आयुधपुर के नाम से 2 शहरों में बंट गई थी।
अर्पित बख्शी की किताब “महाबिष्णु ट्रिलॉजी, द कोड ऑफ मानवास” के पहल भाग के कथानक की रचना आज से 20 लाख साल पहले 2050 ईस्वी की पृष्ठभूमि में की गई। हम जानते थे कि पूवर्वती पृथ्वी के साथ प्रारंभिक मनुष्यों का अस्तित्व भी नष्ट हो जाएगा। आज मानव की नई नस्ल भूमि पर निवास करती है, जबकि पूर्ववर्ती पृथ्वी दो शहरों –माधवपुर और आयुधपुर में बंट गई थी। उपन्यास की कहानी के अनुसार माधवपुर के शांत शहर में वैराग्य भाव से कृष्ण किसी महत्वपूर्ण कार्य में जुटे हैं। इससे पहले कि प्रलय और कयामत के दिन सब कुछ नष्ट हो जाए, उन्हें मानव के रहने के लिए नया ठिकाना बनाना है। वह ऐसा कुछ जानते हैं, जो और कोई नहीं जानता। मानवों के लिए समय उससे कहीं ज्यादा तेजी से भाग रहा है, जितना कि वह सोच सकते हैं। मानवों के लिए पृथ्वी से भागने के लिए कोई ऐसा ग्रह नहीं है, जहां वह रह सके।
बदतर स्थिति तो तब बन जाती है, जब पता चलता है कि माधवपुर में कोई है, जो श्रीकृष्ण को नष्ट करना चाहता है और मानवों को अपना गुलाम बनाना चाहता है। हालांकि कृष्ण जानते हैं कि मानवों के पास अपना अस्तित्व बचाने के लिए केवल थोड़ा सा समय है। क्या मानवों के विभिन्न गुट विभिन्न प्रणियों की भलाई के लिए एकजुट होंगे? क्या कृष्ण, जो पिछले युग के अंत में मनुष्यों को बचाने के लिए आगे आए थे, क्या इस बार उन्हें बचा सकेंगे? उन्हें इसके लिए क्या कीमत चुकानी होगी। इन सवालों का जवाब जानने के लिए महाबिष्णु के पैराणिक संसार में प्रवेश कीजिए और तेज रफ्तार वाली रहस्य रोमांच से भरी कथा सुनते और पढ़ते समय समय भावों में बह जाइए।
यह उपन्यास दुनिया का अस्तित्व पूर्ण रूप से नष्ट होने और भयंकर विनाश की काल्पनिक पौराणिक कथा है। इस उपन्यास के हीरो श्रीकृष्ण, हैं, जो वैज्ञानिक भी हैं। उन्हें धरती के अलावा मनुष्यों के रहने का ठिकाना (वैकल्पिक ब्रह्मांड) बनाना है। लेखक ने पैराणिक कथा की दोबारा से कल्पना नहीं की, लेकिन इस पैराणिक कथा को लेखक ने प्रेरणा के तौर पर जरूर इस्तेमाल किया है। इस उपन्यास के कुछ किरदारों के नाम कृष्ण, गोपाल, मोहन, वासु और श्याम हैं, जो एक ही भगवान-श्रीकृष्ण के नाम है, पर इन सभी मनुष्यों की अलग-अलग विशेषताएं हैं, जो अलग-अलग पुरुषों के विभिन्न पहलुओं को दिखाते हैं।
उपन्यास के मुख्य पात्र का किरदार भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित है। वह श्रीकृष्ण से काफी मिलता-जुलता है। वह पीले वस्त्र धारण करता है, बांसुरी बजाता है और पूरी मानव जाति को नष्ट होने से बचाने वाला रक्षक है। कृष्ण भगवान बिष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण क्षमा, दया, करुणा, कोमलता और प्रेम के प्रतीक इष्टदेव हैं। वह हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। हिंदू देवी-देवताओं में से श्रीकृष्ण सम्मानित और व्यापक रूप से पूजे जाने वाले भगवान का रूप है। भारतीय पौराणिक विज्ञान की काल्पनिक कथाओं के लिए यहां काफी अच्छा मार्केट हैं। यह बाजार लगातार बढ़ रहा है। लोगों को अपने सम्मानित और पूजनीय देवी-देवताओं के नए अवतार के बारे में पढ़ना और देखना अच्छा लगता है। इसके साथ ही वह यह भी देखना चाहते है कि उन्होंने किस तरह मानव जाति को जीवन के मलभूत सिद्धांतों के बारे में समझाया।
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