राज्य बेस प्राइस पर हो वैट
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि डीजल और पेट्रोल की कीमतों को तार्किक बनाने के लिए नए प्राइसिंग मकैनिज्म पर विचार किया जा सकता है। इस मकैनिज्म के तहत राज्य डीजल- पेट्रोल की बेस प्राइस पर वैट लगाए न कि उस कीमत पर जिसमें केंद्र का टैक्स भी शामिल हो।
34, 000 करोड़ का नुकसान
रिपोर्ट के अनुसार इस फाॅर्मूले को अपनाने से राज्यों को 34,627 करोड़ रुपए के टैक्स राजस्व का नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह राज्यों को राजस्व का स्थाई नुकसान होगा। मौजूदा समय में राज्य डीजल पेट्रोल की उस कीमत पर वैट लगाते हैं जिसमें केंद्र का टैक्स भी शामिल होता है। इससे आम उपभोक्ताओं तक पहुंचते- पहुंचते डीजल पेट्रोल और महंगा हो जाता है।
इतना टैक्स लेते हैं राज्य आैर केंद्र
अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच केंद्र सरकार से डीजल और पेट्रोल पर सेंट्रल एक्साइज में कटौती करने की मांग हो रही है। केंद्र सरकार पेट्रोल पर प्रति लीटर 19.18 रुपए और डीजल पर प्रति लीटर 15.33 रुपए फिक्स एक्साइज ड्यूटी वसूलती है। वहीं राज्य पेट्रोल और डीजल की खपत पर एड वॉलोरेम टैक्स लगाते हैं। गोवा पेट्रोल पर सबसे कम 16.62 फीसदी यह टैक्स लगाता है जबकि महाराष्ट्र पेट्रोल पर सबसे अधिक 39.27 फीसदी यह टैक्स लगाता है। अखिल भारतीय स्तर पर इस टैक्स का औसत 26.34 फीसदी है।