आर्टिकल आॅफ एसोसिएशन में हुआ बदलाव
दिसंबर 2012 में रतन टाटा ने कहा था कि भविष्य में एेसा हो सकता है कि टाटा संस आैर टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन पद किसी एक ही शख्स के हाथों में न हो। टाटा संस आैर टाटा ट्रस्ट को एेक एेसे अग्रीमेंट को लेकर सहमत होना पड़े जिसमें नितिगत प्लान, वार्षिक प्लान आैर शेयरों के विनिवेश को लेकर ट्रस्ट की भूमिका तय हो। इसको लेकर रतन टाटा आैर साइरस मिस्त्री में हुर्इ बातचीत के बाद आर्टिकल आफ एसोसिएशन को अप्रैल 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ पास किया गया था।
एनसीएलटी ने क्या कहा
एनसीएलटी ने कहा है कि जब मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन थे तो वो शायद इस बात के भ्रम में थे कि उनके पास कंपनी से जुड़े सभी फैसलों पर निर्णय लेने का अधिकार है। इसलिए वो ठीक रतन टाटा की ही तरह अपने अधिकारों का उपयोग करते थे। लेकिन ये बात ध्यान देने वाली है कि रतन टाटा अपने अवधि के दौरान टाटा ट्रस्ट आैर टाटा संस, दाेनों के चेयरमैन थे। साइरस मिस्त्री के कार्यकाल में एेसा नहीं था।
एसपी समूह के पास नहीं है कोर्इ विशेष अधिकार
एसपी समूह कंपनी ने दिनशाॅ समूह से साल 1965 में शेयर खरीदकर टाटा का शेयरधारक बना था। लेकिन आर्टिकल आॅफ एसोसिएशन के तहत कंपनी बोर्ड में उनके किसी पोजिशन के बारे में जिक्र न होने के बावजूद भी एसपी समूह 1980 से 2004 के दौरान आैर 2006 से 2012 के दौरान बोर्ड के सदस्य थे। एनसीएलटी की रूलिंग में कहा गया है कि एेसा कोर्इ भी समय नहीं था जब एसपी समूह बोर्ड की बैठक के दौरान मिस्त्री से असहमत हुअा हो। वर्तमान में एसपी समूह के पास 18 फीसदी स्टेक है आैर वो कंपनी के अल्पसंख्यक शेयरधारकों में से एक है जिन्हें आर्टिकल आॅफ एसोसिएशन के तहत कोर्इ भी विशेष अधिकार नहीं है।
अल्पसंख्यक शेयरधारक के तौर पर खुद को प्रोजेक्ट करता है एसपी समूह
एसपी समूह कंपनी के संस्थापक सदस्यों में से नहीं है। अभी तक एसपी समूह के इक्विटी शेयरधारक होने से डिविडेंड के तौर पर 800 करोड़ रुपये की कमार्इ हो चुकी है। कंपनी पेटीशन में एसपी समूह को टाटा ट्रस्ट के बाद इकलौता सबसे बड़ा पार्टनर के तौर पर बताया गया है। लेकिन उन्होंने अपने आप को 1 लाख करोड़ रुपये की कीमत वोल स्टेक के साथ अपने आपको अल्पसंख्यक शेयरधारक के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है।