पीठ में दो अन्य सदस्य न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत थे। टाटा के वकील ने भी शीर्ष अदालत में बयान दिया कि वाडिया का अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था। शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह पाया था कि उसे इन आरोपों और इस मामले के कारणों की जानकारी नहीं है।
निदेशक पद से हटाए जाने के बाद मामला दर्ज
बोबडे ने कहा, “आप दोनों को बात करनी चाहिए।” कोर्ट ने जोर देकर कहा था कि यह सलाह एक विचार है, क्योंकि इस मामले में कोई कानून नहीं है। सायरस मिस्त्री मामला खुलने के बाद टाटा के स्वतंत्र निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद वाडिया ने आपराधिक अवमानना मामला दर्ज कराया था।
अपमान करना उद्देश्य नही
टाटा ने लगातार यही बात कही थी कि उनका अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था। वरिष्ठ अधिवक्ता सी.ए. सुंदरम ने कोर्ट को बताया कि अगर दूसरा पक्ष उन पर लगाए आरोप वापस ले तो उनका मुवक्किल मामला वापस लेना चाहता है। प्रधान न्यायाधीश ने वाडिया और टाटा के बीच शांति की वकालत करने की कोशिश की और सलाह दी कि कोर्ट बंबई हाईकोर्ट के निष्कर्ष को मान सकता है कि टाटा का वाडिया का अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था। प्रधान न्यायाधीश ने वाडिया के वकील से पूछताछ की थी। कोर्ट ने वाडिया के वकील से पूछा, “दूसरे पक्ष को आपके संबंध में कोई शिकायत है, और वे कानून के अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं। यह मानहानि कैसे हो सकती है।”