र्इ-काॅमर्स कंपनियां नहीं करती हैं सेलर्स की मूल जांच
लोकलसर्विस ने आॅनलाइन बिकने वाले सामानों में नकली होने की जानकारी इकट्ठा करने के लिए 12 हजार यूनिक कंज्यमर्स का सर्वे किया था। जिसमें इन कंज्यमर्स का मानना है कि कर्इ र्इ-काॅमर्स वेबसाइट लोगों को ध्यान आकर्षित करने के लिए नकली उत्पादों को भारी डिस्काउंट के साथ पेश करती हैं। जबकि इनमें से अधिकतर कंपनियां डिस्काउंट के चक्कर में सामान बेचने वाले रिटेलर्स की मूल जांच तक नहीं करती हैं।
38 फीसदी लोगों ने माना की उन्हें मिले नकली प्रोडक्ट्स
इस सर्वे के पहले पोल में 6932 लोगों ने हिस्सा लिया था जिसमें से 38 फीसदी लोगों का कहना है कि उन्हें बीते एक साल में र्इ-काॅमर्स साइट्स से खरीदारी पर नकली प्रोडक्ट्स मिले हैं। वहीं 45 फीसदी लोगों का कहना है कि उनके साथ एेसा कुछ भी नहीं हुआ। जबकि 17 फीसदी लोगों ने बताया कि वो इनके बारे में कुछ नहीं जानते हैं। दूसरी तरफ मार्केट रिसर्च प्लेटफाॅर्म वेलोसिटी एमआर द्वारा 3,000 लोगों पर किए गए एक आैर सर्वे में पाया गया कि उन्हे बीते छह माह में हर तीसरे आॅनलाइन शाॅपिंग करने पर नकली सामान मिला है।
इन बड़ी कंपनियों ने बेचा नकली प्रोडक्ट्स
जब इन कंज्यूमर्स से ये पूछा गया कि कौन सी बड़ी कंपनी ने बीते एक साल में नकली प्रोडक्ट्स बेचा है इसपर लोगों ने अलग-अलग जवाब दिया। इनमें से 12 फीसदी लोगों ने स्नैपडील का नाम लिया, 11 फीसदी लोगों ने अमेजाॅन आैर 6 फीसदी लोगों ने फ्लिपकार्ट का नाम लिया। इस सर्व में 71 फीसदी लोग एेसे थे जो कभी आॅनलाइन शाॅपिंग नहीं किए या उन्हें कभी नकली प्रोडक्ट्स नहीं मिलेा। इस सर्वे में सबसे ज्यादा नकली उत्पादों में सबसे पहले स्थान पर परफ्यूम आैर फ्रेगरेंस हैं। वहीं जूतों आैर स्पोर्टिंग गुड्स के सामान दूसरे नंबर पर रहे। 51 फीसदी लोगों ने माना कि फैशन , अपैरल, बैग्स, गैजेट्स जैसे सामान उन्हें नकली बेचा गया है।