रिगों के निष्क्रिय रहने से ओएनजीसी को 6418 करोड़ का नुकसान
Published: Dec 20, 2015 11:48:00 am
रिगों की निष्क्रियता के कारण उपयोग योग्य रिग माह में कमी आई और ड्रिलिंग लागत में वृद्धि हुई
नई दिल्ली। तेल एवं गैस उत्खनन क्षेत्र की दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को वर्ष 2010 से 2014 के बीच रिगों के निष्क्रिय रहने से 6418 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010 से 2014 के बीच सार्वजनिक कंपनी ओएनजीसी की रिगों का गैर उत्पादन समय 19 से 23 प्रतिशत के बीच था। हालांकि, इसमें कुछ समय मौसम जैसे गैर-नियंत्रणीय घटकों के कारण रिग निष्क्रिय रहीं, लेकिन अधिकतर निष्क्रिय समय को सुप्रबंधन के जरिए नियंत्रित किया जा सकता था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चक्र से बाहर रहने के अतिरिक्त, ड्रिलिंग के लिए परिनियोजित किए जाने के बाद भी यथेष्ट समय के लिए रिग निष्क्रिय रही। अधिकतर निष्क्रिय समय कंपनी के नियंत्रण के अंदर था जिसका बेहतर नियोजन एवं समन्वय के माध्यम समाधान किया जा सकता था।’ इसमें नियंत्रण के अंदर वाली अवधि में रिगों के निष्क्रिय रहने से 6418 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है। कैग ने कहा, ‘रिगों की निष्क्रियता के कारण उपयोग योग्य रिग माह में कमी आई और ड्रिलिंग लागत में वृद्धि हुई।’
रिपोर्ट के अनुसार, रिगों के निष्क्रिय रहने से उथले पानी क्षेत्र में 3782 करोड़ रुपए, गहरे पानी क्षेत्र में 1748 करोड़ रुपए तथा जमीन पर के क्षेत्र में 888 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। कैग ने समुद्र में रिगों के निष्क्रिय पड़े रहने के कारण तैयार प्लेटफॉर्मों की अनुपलब्धता, परियोजना में अनिर्णय, मानसून तथा रिगों को प्लेटफॉर्मों तक ले जाने के लिए साधन उपलब्ध नहीं होना पाया, जबकि जमीन पर के क्षेत्रों में तैयार स्थानों तथा परिवहन साधनों की अनुपलब्धता और समय पर पर्यावरणीय मंजूर नहीं मिलना इसके कारणों में शामिल हैं।
कैग ने कहा कि किराए की रिगों की तुलना में अपनी रिगों का निष्पादन खराब था, जबकि उनकी परिचालन लागत अधिक थी। उसने इन रिगों की मरम्मत पर भी सवाल उठाते हुए कहा, ‘ऐसी मरम्मत की वित्तीय व्यवहार्यता संदिग्ध थी।’ उसने अपनी सिफारिश में कहा है कि कंपनी को वास्तविक ड्रिलिंग के दौरान रिग तैनाती योजनाओं के अनुपालन के लिए प्रयास करना चाहिए।