यूपी में चुनाव जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ ने किसानों की कर्ज माफी का ऐलान किया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने 36,400 करोड़ रुपये खर्च करके लगभग 0.86 करोड़ किसानों को 1 लाख रुपये तक के कर्ज माफी की घोषणा की थी। हालांकि, किसानों को मिलने वाली वास्तविक छूट 24,700 करोड़ रुपये थी, जो वास्तविक ऋण से 32 प्रतिशत कम थी। इसी तरह, महाराष्ट्र सरकार ने 34,000 करोड़ रुपये की ऋण माफी की घोषणा की, जिसमें से अब तक केवल 17,000 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है।
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में, कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की कृषि माफी की घोषणा की थी, लेकिन माफ किए गए ऋण की राशि सिर्फ 3,600 करोड़ रुपये थी, जो कि वादे से 6,400 रुपये कम थी। वहीं, कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार ने 0.2 करोड़ किसानों के लिए 8,200 करोड़ रुपये की ऋण माफी की है। वहीं 40,000 करोड़ रुपये कर्ज माफी की योजना भी धीरे-धीरे काम कर रही है।
पहले की कर्ज माफी की घोषणाओं ने यह साबित कर दिया है कि इस तरह की योजनाओं से बहुत कम लोगों को फायदा होता है। पिछले अनुभवों से पता चलता है कि राज्य सरकारें ऋण माफी की योजनाएं तो बना लेती हैं, लेकिन उनको सफलतापूर्वक लागू नहीं कर पाती हैं। आमतौर पर किसानों के पास ऋण आवेदन करने की प्रक्रिया का पर्याप्त का ज्ञान नहीं होता है और वह बैंक की कार्वाई को पूरा नहीं कर पाते हैं, जिस कारण वह इन योजनाओं का फायदा नहीं उठा पाते हैं।