Published: Dec 27, 2018 11:31:00 am
Saurabh Sharma
एक रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि आयुर्वेद की सेल्स और उसके प्रॉफिट में मार्च 2018 में खत्म वित्त वर्ष में अच्छी-खासी कमी आई। वहीं दूसरी आेर राइवल कंपनियों ने भी पतंजलि को कड़ी टक्कर देनी शुरू कर दी है।
जीएसटी ने दिखाए बाबा रामदेव को बुरे दिन, पांच साल बाद हुआ इतना बड़ा नुकसान
नर्इ दिल्ली। वैसे तो गुड्स सर्विस टैक्स ने कर्इ कारोबारियों को नुकसान पहुंचाया ही है, लेकिन इस फेहरिस्त में अब सबसे बड़ा नाम बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि का नाम सबसे आगे पहुंच गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि आयुर्वेद की सेल्स और उसके प्रॉफिट में मार्च 2018 में खत्म वित्त वर्ष में अच्छी-खासी कमी आई। वहीं दूसरी आेर राइवल कंपनियों ने भी पतंजलि को कड़ी टक्कर देनी शुरू कर दी है। साथ में मल्टीनेशनल कंपनियों ने भी आयुर्वेद प्रोडक्ट्स मार्केट्स में लांच कर दिए हैं। जिसके कारण भी पतंजलि को नुकसान उठाना पड़ रहा है। आइए आपको भी बताते हैं कि पतंजलि को आैर किस तरह से नुकसान हुआ है।
प्राॅफिट में 50 फीसदी की कमी
– रिसर्च प्लैटफॉर्म टॉफलर से प्राप्त अांकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 में पतंजलि की आमदनी 10 फीसदी घटकर 8,135 करोड़ रुपए रह गई, जो सालभर पहले 9,030 करोड़ रुपए थी।
– 2013 के बाद यह कंपनी का सबसे कमजोर परफॉर्मेंस रहा। उस साल कंपनी की ऐनुअल सेल डबल हो गई थी।
– केयर रेटिंग्स के प्रोविजनल डेटा के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2017-18 में कंपनी का नेट प्रॉफिट भी लगभग 50 फीसदी की गिरावट के साथ 529 करोड़ रह गया।
जीएसटी बनी सबसे बड़ी वजह
केयर रेटिंग्स के अनुसार पतंजलि के टर्नओवर में गिरावट की सबसे बड़ी वजह जीएसटी सिस्टम के अनुरूप ना ढालना रहा है। वहीं कंपनी ठोस इन्फ्रास्ट्रक्चर और सप्लाई चेन डिवेलप करने में भी विफल रही है। कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी में तेज गिरावट की सबसे बड़ी वजह प्रॉफिट बिफोर इंट्रेस्ट, लीज, डेप्रिसिएशन ऐंड टैक्स मार्जिन में आई कमी थी। एक्सपेंशन के चलते बढ़े अन्य खर्च और खासतौर पर सेलिंग और डिस्ट्रीब्यूशन एक्सपेंस में बढ़ोतरी के चलते कंपनी का प्रॉफिट बिफोर इंट्रेस्ट, लीज, डेप्रिसिएशन ऐंड टैक्स मार्जिन वित्तीय वर्ष 17 के 18.73 फीसदी से घटकर 11.98% रह गया।
प्रतियोगियों ने दिया पतंजलि को करारा जवाब
वहीं दूसरी आेर प्रतियोगी कंपनियों की आेर से पतंजलि को करारा जवाब दिया है। साथ ही अपना गंवाया हुआ मार्केट दोबारा हासिल कर लिया है। कॉम्पिटिटर्स ने कंपनी पर जवाबी हमला बोलते हुए अपना खोया मार्केट शेयर हासिल कर लिया। जेफरीज के ऐनालिस्टों वरुण लोचब और तन्मय शर्मा का कहना है कि मार्केट में पतंजलि का प्रभाव घटा है। वहीं मल्टीनैशनल कंपनियों के उतरने से कन्ज्यूमर गुड्स मार्केट में इन प्रॉडक्ट्स का हिस्सा बढ़कर लगभग 10 फीसदी हो गया है। हिंदुस्तान यूनीलीवर ने आयुर्वेदिक पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स वाले लीवर आयुष ब्रैंड को रीलॉन्च किया है, इंदुलेखा ने हेयरकेयर ब्रैंड को खरीदा है और सिट्रा स्किनकेयर ब्रैंड लॉन्च किया है।