credit card के जरिए पेमेंट करने पर यह चार्ज 1 फीसदी, Debit Card से पेमेंट करने पर 0.9 फीसदी और Unified Payment Interface ( UPI ) के जरिए पेमेंट करने पर यह 12-15 रुपये का होता है। SoftBank और alibaba जैसी दिग्गज कंपनियों से निवेश हासिल करने वाली नोएडा स्थित यह कंपनी अभी तक इस चार्ज का वहन खुद ही करती थी। पेटीएम अपने वाॅलेट से किसी भी पेमेंट पर इस तरह के चार्जेज का बोझ ग्राहकों पर नहीं डालती थी।
इस तरह के पेमेंट पर लगेगा चार्ज
यह नया चार्ज पेटीएम से हर तरह के डिजिटल लेनदेन पर लागू होगा। इसमें वाॅलेट में पैसे डालना, यूटिलिटी बिल जमा करना, स्कूल फीस जमा करना और सिनेमा टिकट खरीदाना आदि भी शामिल होगा। इस मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया कि हर लेनदेन पर कुछ चार्ज लगता है। अब पेटीएम इस चार्ज का भार खुद नहीं उठाकर ग्राहकों पर डालेगा।
पेटीएम ने अपने ब्लाॅग में क्या कहा
मीडिया में चल रही खबरों के बाद सोमवार सुबह पेटीएम ने अपने आधिकारिक ब्लाॅग में लिखा, “हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि One97 कम्युनिकेशन की मालिकाना वाली पेटीएम ऐप अपने ग्राहकों से कोई कार्ड, यूपीआई, नेट बैंकिंग और वाॅलेट के जरिए ट्रांजैक्शन पर कोई भी फीस नहीं चार्ज करती है। पेटीएम ग्राहक हमारे प्लेटफार्म के जरिए सभी सुविधा लेना जारी रख सकते हैं। कुछ मर्चेंट्स ऐसे हैं जो क्रेडिट कार्ड पर लगने वाले चार्जेज का बोझ खुद नहीं उठाते और चाहते हैं कि इसका बोझ ग्राहकों पर पड़े। ऐसे मामले में यूजर्स डेबिट कार्ड या यूपीआई से पेमेंट करें ताकि उन्हें कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं देना पड़े।”
प्राॅफिटेबल होने के लिए निवेशकों की तरफ से दबाव
पेटीएम के इस कदम पर जानकारों ने कहा, “साल 2016 में, जब कंपनी शुरू हुई थी तो उस वक्त वो 0 फीसदी एमडीआर ले रही थी, क्योंकि मार्केट में उसे पकड़ बनानी थी। लेकिन, अब कंपनी शुरू हुए बहुत दिन हो गए हैं। ऐसे में यह सही है कि कंपनी एमडीआर का बोझ ग्राहकों पर डाले। यह उनके लिए एक ऑपरेशनल काॅस्ट है। पेटीएम जैसी कंपनियों पर उनके निवेशकों की तरह से दबाव है। अब पेटीएम जैसी कंपनियों को साबित करना हाेगा कि वो भी प्राॅफिटेबल हो सकती हैं।”
नहीं पड़ेगा डिजिटल पेमेंट पर कुछ खास असर
गौरतलब है कि पिछले साल ही डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कहा कि वो डेबिट कार्ड, Bhim , UPI पर 2,000 रुपये के लेनदेन पर एमडीआर का चार्ज खुद उठाएगी। विश्लेषकों का मानना है कि पेटीएम के इस फैसले से डिजिटल पेमेंट पर बहुत कम असर पड़ेगा। साल 2014 से लेकर अब तक एनडीए सरकार के दौरान डिजिटल पेमेंट में 10 गुना से भी अधिक का इजाफा हुआ है।
क्या होता है एमडीआर और किसे मिलता है यह पैसा
जब भी आप अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते हैं तो दुकानदार आपसे एक तय रकम लेता है। इसी रकम को मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी एमडीआर कहते हैं। यह एक तरह से आपके कार्डे पेमेंट पर लगने वाला फीस होता है। यह रकम दुकानदार को नहीं मिलती है। पेमेंट के बाद यह रकम तीन हिस्सों में बंटती है। इसका सबसे बड़ा हिस्सा डेबिट या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को मिलता है। इसके बाद कुछ हिस्सा Point of Sale ( PoS ) मशीन जारी करने वाले बैंक का मिलता है। तीसरा हिस्सा पेमेंट कंपनी को मिलता है।
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