रियाद। दुनिया के सबसे बड़े क्रूड ऑयल प्रोड्यूसर देश सऊदी अरब से यूं तो भारत का संबंध केवल तेल और मजदूरों की कमाई तक ही सीमित रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शनिवार को वॉशिंगटन से सऊदी अरब पहुंचने से यह पता चलता है कि इस संबंधों को भारत सरकार कितनी अहमियत दे रही है।
भारत और सऊदी अरब ने यूपीए-2 के दौरान सुरक्षा सहयोग पर विचार शुरू किया था, जिसकी वजह 2008 के मुंबई हमले के बाद भारत की खाड़ी देशों से गुप्तचर सूचनाएं हासिल करने की इच्छा थी। नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से इस सुरक्षा सहयोग के और मजबूत होने के संकेत मिल रहे हैं। मोदी सरकार का सुरक्षा पर विशेष ध्यान है।
भारत स्थानीय कट्टरपंथी संगठनों को खाड़ी देशों से वित्तीय या अन्य सहयोग रोकना चाहता है। इसके अलावा भारत दक्षिण एशिया में पैर पसारने की कोशिश में लगे आतंकी संगठन आईएसआईएस के इरादे नाकाम करना चाहता है। इस्लामिक स्टेट के उदय और किसी बड़े विरोध के बिना उसके सऊदी अरब समेत दुनियाभर में हमलों ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। इसकी मंशा दक्षिण एशिया और विशेषकर भारत में अपनी गतिविधियों का विस्तार करने की है।
ज्यादा चिंता की बात यह है कि आईएसआईएस अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर एक शिविर बना सकता है, जहां से यह भारतीय सीमा के अंदर हमले कर सकता है। इन वजहों से भारत को सऊदी अरब से गुप्तचर सूचनाएं मांगने और सुरक्षा सहयोग करने पर मजबूर होना पड़ा, खासकर साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में।
Home / Business / Industry / तो सऊदी अरब से रिश्तों में इसलिए आ रही है इतनी गर्माहट