गोयल ने बताया, रेलवे सेफ्टी हमारे लिए एक चिंता का विषय है। इसको लेकर जो चर्चा हुई वो हमारी आंखे खोलने वाली हैं, लेकिन संभावनाओं के मुताबिक इसरो द्वारा विकसित स्ेपट टेक्नोलॉजी भारतीय रेलवे को सुरक्षित करने में काफी मददगार होगा। पिछले महीने में रेल हादसे की कई घटनाएं हुई है, इसके बाद सितंबर माह के शुरूआत में हुए मंत्रीमंडल में हुए फेरबदल में सुरेश प्रभु को रेलवे मंत्रालय से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इंडियन मोबाइल कांग्रस में बोलते हुए गोयल ने कहा, कंप्यूटर प्रणाली को अपनाने वालों मे से रेलवे सबसे पहले था और सेफ्टी जैसे कई ऑपरेशनल प्रोसेस में मदद करता है।
मंत्री ने कहा,1960 के दशक से ही रेलवे कंप्यूटर प्रणाली को अपना लिया था और 1985 में पैसेंन्जर आरक्षण प्रणाली को कंप्यूटरीकृत कर दिया गया था। मुझे याद है 1990 के दशक में बैंको में कंप्यूटर प्रणाली की शुरूआत हुई थी। मेरे लिए यह एक रोचका जानकारी थी की 1960 के दशक मे ही भारतीय रेल ने कंप्यूटर को अपना लिया था। मैं इससे से बहुत खुश हूं और शायद हम पहले ही इसे रेलवे सेफ्टी के लिए अपना सकते थे। मौजूदा समय के आर्टिफिशियल तकनीक और मशीन लर्निंग पूरी दुनिया मे काम करने के तरीके को बदल रहा है। भारत के पास भी ये मौका है कि इन सुविधाओं को अपने देश में लाए। मैने रेलटेल से एक ऐसे प्रोग्राम के बारे मे सोचने को कहा है जो हजारो रेलवे स्टेशनों को वाई-फाई से जोड़ दें।
गोयल ने आगे कहा कि, हम वास्तव में रेलवे स्टेशन के आसपास के गावों मे भी वाई-फाई की सुविधा दे सकते हैं और ऐसे ग्रामीण भारत को भी नए दौर की तकनीक से जोड़ सकते हैं। हमे वहां के बच्चो कों भी वहीं तकनीक प्रदान करनी चाहिए जो हमारे शहरों में मिल रहा है। अभी भी करोड़ो लोगों के लिए 24 घंटे बिजली और कनेक्टिवीटी एक सपना है और हमारी सरकार इसके लगातार काम कर रही हैं।