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मध्य प्रदेश के नीमच जिले के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने भारतीय रेल के समय पालन के संदर्भ में रेल मंत्रालय से ब्यौरा मांगा था। मंत्रालय की तरफ से उपलब्ध कराए गए ब्योरे के अनुसार, विभिन्न श्रेणियों की मेल-एक्सप्रेस, पैसेंजर, राजधानी, शताब्दी, गरीबरथ और सुविधा रेल में से कोई भी रेलगाड़ी ऐसी नहीं है, जो समय पालन के मामले में खरी उतरी हो।
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रेल मंत्रालय की ओर से मिले जवाब के अनुसार, मेल-एक्सप्रेस गाडिय़ों में से वर्ष 2016-17 में 76.69 फीसदी, वर्ष 2017-18 में 71.39 फीसदी और वर्ष 2018-19 में 69.23 फीसदी ही समय पर चलीं। हालांकि इस साल कुछ सुधार नजर आ रहा है और सितंबर तक समय पालन का फीसदी 74.21 फीसदी है।
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पैसेंजर गाडिय़ों का हाल भी कुछ ऐसा ही है। वर्ष 2016-17 में 76.53 फीसदी, वर्ष 2017-18 में 72.66 फीसदी और वर्ष 2018-19 में 67.5 फीसदी पैसेंजर गाडिय़ां ही समय पर चलीं। वहीं इस साल सितंबर तक समय पालन के मामले में 70.55 फीसदी गाडिय़ां समय पर चलीं।
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भारतीय रेल की सबसे बेहतर और सुविधा सम्पन्न गाडिय़ां राजधानी और शताब्दी भी समय पालन के मामले में कमजोर साबित हो रही हैं। राजधानी एक्सप्रेस गाडिय़ां वर्ष 2016-17 में 68.55 फीसदी, वर्ष 2017-18 में 69.99 फीसदी और वर्ष 2018-19 में 76.58 फीसदी ही समय पर चलीं।
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वहीं वर्तमान वर्ष में सितंबर तक यह फीसदी सुधर कर 81.43 हो गया है। शब्तादी एक्सप्रेस का हाल भी ऐसा ही है। वर्ष 2016-17 में 85.96 फीसदी, वर्ष 2017-18 में 82.30 फीसदी और वर्ष 2018-19 में 86.93 फीसदी ही समय पर चली हैं। इस साल सितंबर तक हालांकि यह आंकड़ा 90.94 फीसदी रहा।
इसी तरह गरीब रथ बीते तीन सालों में सबसे बेहतर स्थिति में वर्ष 2016-17 में रहीं, जब समय पर स्टेशन पहुंचने का इनका रिकॉर्ड 66.81 फीसदी रहा। सुविधा ट्रेन का समय पालन के मामले में सबसे बेहतर प्रदर्शन वर्ष 2017-18 में रहा, जब 67.5 फीसदी गाडिय़ां समय पर पहुंचीं। आरटीआई कार्यकर्ता गौड़ का कहना है, “रोजाना पैसेंजर एवं एक्सप्रेस गाडिय़ों में देश का एक बहुत बड़ा वर्ग यात्रा करता है। इनके समय पालन को लेकर सूचना के अधिकार के जरिए जो जानकारी मिली है, वह पीड़ादायक है।”