इन विवादों से घिरी है मैगी
‘टेस्ट भी हेल्दी भी’ के दावे के साथ ‘दो मिनट में मैगी’ परोसनी वाली कंपनी नेस्ले इंडिया के इस विवाद को कुछ साल हो चुके हैं। एक समय था जब भारत में नूडल्स के कारोबार पर नेस्ले इंडिया के उत्पाद ‘मैगी’ का राज था। लेकिन साल 2015 में की गई जांच में पाया गया कि मैगी में लेड की मात्रा ज्यादा है। तय मानक के अनुसार के किसी फूड प्रॉडक्ट में लेड की मात्रा 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए, लेकिन मैगी के नमूनों में इसकी मात्रा इससे काफी अधिक थी।
FSSAI ने लगाई थी कंपनी पर रोक
इसके बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने मैगी नूडल्स पर रोक भी लगा दी थी और इसे मानव उपयोग के लिए ‘असुरक्षित और खतरनाक’ बताया था। हालांकि, बाद में कंपनी ने उत्पाद में सुधार के दावे के साथ इसे फिर भारतीय बाजार में उतारा। तब मंत्रालय ने 30 साल पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून के एक प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए नेस्ले इंडिया के खिलाफ एनसीडीआरसी (NCDRC) में शिकायत दर्ज कराई थी।
जानलेवा है लेड
मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी के वकीलों ने भी इस बात को स्वीकार किया कि मैगी में लेड की मात्रा अधिक थी। जबकि पहले तर्क दिया गया था कि लेड की मात्रा परमीसिबल सीमा के अंदर थी। बता दें लेड सेहत के लिए काफी खतरनाक है। अधिक लेड सेवन की वजह से किडनी खराब हो सकती है और नर्वस सिस्टम डैमेज भी हो सकता है।
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