सेवाओं को सुधारने की दिशा में 2,000 मेगाहर्ट्ज तक को खुले मार्केट में उतारने से मदद मिलेगी
नई दिल्ली। केंद्र में मोदी सरकार को मोबाइल स्मेट्रम की नीलामी से 5.5 लाख करोड़ रुपये (करीब 82 अरब डॉलर) तक की तगड़ी कमाई हो सकती है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने स्पेक्ट्रम की नीलामी का प्रस्ताव पेश किया है। ट्राई का मानना है कि इससे टेलिकॉम सेवाओं में आने वाली बाधाओं को दूर करने में आसानी होगी। सेवाओं को सुधारने की दिशा में 2,000 मेगाहर्ट्ज तक को खुले मार्केट में उतारने से मदद मिलेगी। हालांकि इससे टेलिकॉम इंडस्ट्री पर भी दवाब बढ़ सकता है, जो पहले ही कर्ज तले दबी है।
नीलामी से 82 अरब डॉलर कमाएगी सरकार?
अनुमान है कि स्पेक्ट्रम की वास्तविक कीमतों पर सरकार को लगभग 82 अरब डॉलर (5.5 लाख करोड़) प्राप्त होंगे। यदि कंपनियां बोली में अधिक उत्साह दिखाती हैं तो यह रकम और बढ़ सकती है। इस साल के मध्य में 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम की भी नीलामी हो सकती है, इससे सरकार के खजाने में बड़ी रकम आने की संभावना है। सरकार को 4 लाख करोड़ रुपये की कमाई 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम से हो सकती है, जबकि इस पर 11,500 करोड़ रुपये की लागत आने की संभावना है। हालांकि इंडस्ट्री के विश्लेषक और अन्य जानकार इसे ‘बेहद खर्चीला’ करार दे रहे हैं। इससे पहले इस स्पेक्ट्रम की नीलामी से इतनी तगड़ी कमाई नहीं हुई।
इसके अलावा सरकार को 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की नीलामी के जरिए भारी आमदनी होने की संभावना है। कुछ बैंड्स पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने पूरे भारत के लिए नीलामी की बोली लगाने का सुझाव दिया है, क्योंकि देश के करीब दो दर्जन टेलिकॉम सर्कल्स में पर्याप्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध नहीं हैं। बता दें कि कोल ब्लॉक आवंटन से भी एनडीए सरकार को मोटी कमाई हुई थी। पीएम मोदी ने कहा था कि इतना पैसा तो संप्रग सरकार कई गुना ज्यादा खान नीलाम करने से भी नहीं जुटा पाई थी।
विवादित रहा था टू जी स्पेक्ट्रम-
संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान टेलीकॉम सर्विसेज पर हुआ टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। घोटाले कांड के बाद भाजपा और समर्थित दलों ने चुनावों में टूजी के बाद थ्री-जी…जीजाजी शब्दों के जुमले खूब उड़ाए थे। बहरहाल ट्राई का जोर देश भर के टेलिकॉम सर्कल्स में ज्यादा से ज्यादा स्पेक्ट्रम उपलब्ध करने पर है।