नियामक फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( FSSAI ) ने 10 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम पोटैसियम फेरोसायानाइड के इस्तेमाल की मंजूरी देता है। फूड सेफ्टी गाइडलाइन जारी करने वाली बॉडी एलीमेन्टॉरस (Alimentarius) का मानना है कि 14 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम तक इस केमिकल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या है पूरा मामला
टाटा नमक बनाने वाली टाटा केमिकल्स ने यह बयान तब जारी किया है, जब ठीक एक दिन पहले गोधम ग्रेन्स एंड फार्म प्रोडक्ट्स के चेयरमैन एंड कंजयूमर एक्टिविस्ट शिव शंकर गुप्ता ने बुधवार को दावा किया था कि भारतीय नमक के सभी ब्रांड्स में पोटैसियम फेरोसायनाइड की मात्रा खतरनाक स्तर पर है। इसके बाद नमक को लेकर विवाद खड़ा हो गया। गुप्ता ने अपना दावा अमरीकन वेस्ट एनालिटिकल लैबोरेटरीज की एक रिपोर्ट के आधार पर किया है। उनके मुताबिक, इस रिपोर्ट में सरकार द्वारा बनाये जाने वाले सांभर सॉल्ट में 4.71 मिलिग्राम प्रति किलोग्राम पोटैसियम सायनाइड की मात्रा है। वहीं, टाटा नमक में यह 1.85 और टाटा साल्ट लाइट में 1.90 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम की मात्रा है।
टाटा केमिकल्स ने क्या कहा
हालांकि, टाटा केमिकल्स ने इस अरोप का सिरे से खंडन करते हुए कहा कि यह दावा पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। कंपनी ने यह भी कहा कि आयोडिन भी मानव शरीर के लिए एक जरूरी तत्व है और सरकार खुद इसकी कमी से होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए आयोडीन के इस्तेमाल का प्रोत्साहन दिया है।