जीएसटी में 1 पैसे की भी हेराफेरी नहीं चलेगी
इस नोटिस से साफ हो गया है कि जीएसटी रिजीम में 1 पैसे की भी हेराफेरी नहीं चलेगी। दरअसल जीएसटी भुगतान में करीब 34 फीसदी गिरावट आने के बाद टैक्स अधिकारियों ने कार्रवाई तेज करते हुए कई कंपनियों को नोटिस भेजने शुरू किए। ये वो कंपनियां हैं जिनका टैक्स पेमेंट उनके फाइनल सेल्स रिटर्स से मेल नहीं खा रहा. एक आकलन के मुताबिक 34 फीसदी कारोबारों ने जुलाई-दिसंबर के बीच शुरुआती रिटर्न समरी फाइल करने के दौरान 34,400 करोड़ रुपये कम टैक्स अदा किया।
इस नोटिस से साफ हो गया है कि जीएसटी रिजीम में 1 पैसे की भी हेराफेरी नहीं चलेगी। दरअसल जीएसटी भुगतान में करीब 34 फीसदी गिरावट आने के बाद टैक्स अधिकारियों ने कार्रवाई तेज करते हुए कई कंपनियों को नोटिस भेजने शुरू किए। ये वो कंपनियां हैं जिनका टैक्स पेमेंट उनके फाइनल सेल्स रिटर्स से मेल नहीं खा रहा. एक आकलन के मुताबिक 34 फीसदी कारोबारों ने जुलाई-दिसंबर के बीच शुरुआती रिटर्न समरी फाइल करने के दौरान 34,400 करोड़ रुपये कम टैक्स अदा किया।
नोटिस में क्या था
टैक्स विभाग के तरफ से भेजे गए नोटिस में साफ कहा गया है कि आपके रिटर्न और वास्तविक राशि में 0.77999999999883585 रुपये का अंतर है। कृप्या इसे स्पष्ट करें। टैक्स अधिकारियों ने उन कंपनियों को नोटिस भेजना शुरू किया है जिनका टैक्स पेमेंट उनके फाइनल सेल्स रिटर्स से मेल नहीं खा रहा। इसके अलावा जिन कंपनियों के फाइनल सेल्स रिटर्न GSTR-1 GSTR-2A से मेल नहीं खा रहा उन्हें भी स्क्रूटनी नोटिस मिली हैं।
टैक्स विभाग के तरफ से भेजे गए नोटिस में साफ कहा गया है कि आपके रिटर्न और वास्तविक राशि में 0.77999999999883585 रुपये का अंतर है। कृप्या इसे स्पष्ट करें। टैक्स अधिकारियों ने उन कंपनियों को नोटिस भेजना शुरू किया है जिनका टैक्स पेमेंट उनके फाइनल सेल्स रिटर्स से मेल नहीं खा रहा। इसके अलावा जिन कंपनियों के फाइनल सेल्स रिटर्न GSTR-1 GSTR-2A से मेल नहीं खा रहा उन्हें भी स्क्रूटनी नोटिस मिली हैं।
सरकारी खजाने में 8.16 करोड़
आपको बता दें कि जिन 34 फीसदी कारोबारों से GSTR-3B के रूप सरकारी खजाने में 8.16 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया। जबकि उनके GSTR-1 के डेटा के अनैलेसिस के मुताबिक सरकारी खजाने में 8.5 लाख करोड़ रुपये आने चाहिए थे। एक्सपर्ट के मुताबिक जीएसटी रिजीम में डेटा ऐनालिटिक्स ने इस गड़बड़ी को पकड़ा और कारोबारियों को GSTR-1 और GSTR-3B व GSTR-2A और GSTR-3B के बीच के फर्क को लेकर नोटिस मिलना शुरू हुआ है।
आपको बता दें कि जिन 34 फीसदी कारोबारों से GSTR-3B के रूप सरकारी खजाने में 8.16 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया। जबकि उनके GSTR-1 के डेटा के अनैलेसिस के मुताबिक सरकारी खजाने में 8.5 लाख करोड़ रुपये आने चाहिए थे। एक्सपर्ट के मुताबिक जीएसटी रिजीम में डेटा ऐनालिटिक्स ने इस गड़बड़ी को पकड़ा और कारोबारियों को GSTR-1 और GSTR-3B व GSTR-2A और GSTR-3B के बीच के फर्क को लेकर नोटिस मिलना शुरू हुआ है।