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इन कारणों से मोदी ने चीन के बदले जापान को दिया बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट

मोदी सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन बनाने का सपना चीन देख रहा था लेकिन जापान इसमे बाजी मारने मे कामयाब हो गया है।

नई दिल्लीSep 14, 2017 / 02:14 pm

manish ranjan

नई दिल्ली। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने आज बुलेट ट्रेन की आधारशिलाा का उदघाटन किया। मुंबई से अहमदाबाद तक का यह बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को तैयार करने का टार्गेट साल 2022 तक दिया गया है। मोदी सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट जापान के तकनीकि मदद से तैयार होगा। ऐसे तो भारत मे बुलेट ट्रेन बनाने का सपना चीन देख रहा था लेकिन जापान इसमे बाजी मारने मे कामयाब हो गया है। चीन के बजाय जापान को बुलेट ट्रेन बनाने के कई कारण है। क्या ये प्रधानमंत्री मोदी के कूटनीति का हिस्सा है या भारत-चीन के बीच सीमा को लेकर चल रहा तनाव है। आइए जानते है कि कौन सा ऐसा कारण है जिसके वजह से मोदी ने चीन के बदले जापान को बुलेट प्रोजेक्ट दिया।


चीन अपने आप को आर्थिक तौर पर काफी आगे मानता है और साथ ही अपने सैन्य ताकतों का दम भी दुनिया के दिखाने से कभी पीछे नहीं हटता है। भारत अभी इन दोनों मोर्चे पर चीन से काफी पीछे है। ऐसे में मोदी की जापान को बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट देने की बात कूटनीतिक गलियारे मे भी एक नई तस्वीर तैयार कर रहा है। आपको बता दें तीस बरस पहले भारत में बुलेट ट्रेन का सपना देखा जा रहा है लेकिन मोदी सरकार ने अपनी जबरदस्त कोशिशों से इस सपने को साकार करने के कागार पर है।


बेहद रिययती दर पर जापान ने दिया कर्ज

चीन के बदले जापान को बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट देने के पीछे एक सबसे बड़ा कारण ये है कि जापान बेहद ही रियायती शर्तोँ पर भारत को कर्ज देने के लिए तैयार हो गया है। जापान 88,000 करोड़ रुपए का कर्ज 0.01 फीसदी की ब्याज दर से दे रहा है। इसके साथ ही भारत के लिए एक और बड़ा फायदेमंद मामला परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल को लेकर दोनों देशों के बीच बनी समझदारी है। भारत के लिए अभी तेज रफ्तार के बजाय ज्यादा जरूरत परमाणु संयंत्र से बिजली उत्पादन करना है। ऐसे में जापान से इसके लिए मिलने वाला साथ भारत के लिए एक बेहद फायदेमंद सौदा है। इसके पहले अमेरीका के साथ एटमी समझौते के बाद भी यूरेनियम खरीदने मे मुश्किल हो रही थी।


भारत को बड़े मार्केट से ज्याद अहमियत नहीं देेता चीन

भारत चीन के लिए कई फं्रट पर चुनौती भी है। चीन भारत को अपने उत्पाद बेचने के लिए एक बड़े बाजार से ज्यादा कोई अहमियत नहीं देता। चीन के एक अखबार ने 2015 मे लिखा था कि भारत चीन के तरक्की से केवल फायदा लेना चाहता है और इसलिए वो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को नाराज नहीं करना चाहता था। लेकिन भारत मे हाल ही मे होने डोकलाम विवाद मे चीन को करारा जवाब दिया है।

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